अफगानिस्तान में जिस तरह से लगातार तालिबान का वर्चस्व बढ़ता ही जा रहा है ऐसे में तालिबानी लड़ाकों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए अफगानिस्तान की सेना ने प्रशिक्षित महिला कमांडो को भर्ती करने के आदेश जारी कर दिए हैं। यह सभी प्रशिक्षित महिला कमांडो संख्या में बेशक 135 है मगर इन्हें तालिबान के साथ लड़ाई वाले तमाम मोर्चों पर शामिल किया जाएगा ताकि तालिबानी लड़ाके इन महिलाओं की गोलियों से मौत को प्राप्त हो सके और फिर औरत से मरने के चलते उन्हें शहीद का दर्जा भी ना मिल सके।
अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री ने इन कमांडो के प्रयासों की तारीफ की है। महिला कमांडो की भर्ती ऐसे समय पर हुई जब पूरा देश गृहयुद्ध की आग में झुलस रहा है। तालिबान का दावा है कि उसने देश के 85 फीसदी इलाके पर कब्जा कर लिया है और अब उसकी नजर काबुल पर टिकी हुई है। इस बीच अफगान सेना ने भी अब भीषण जवाबी कार्रवाई शुरू की है। कई जिलों को तालिबान के कब्जे से मुक्त करा लिया गया है।
इससे पहले भी सीरिया और इराक के युद्ध में कुर्दिश लड़ाके अपनी फौज में महिला सेनाओं को भर्ती कर चुके हैं ताकि आईएसआईएस के लड़ाके जब महिलाओं के हाथों मरेंगे तो उन्हें जन्नत नसीब ना हो और जन्नत में रहने वाली 72 हूरें उनको ना मिल सके। गौरतलब है कि जब से सीरिया की लड़ाई में 20 फीसदी महिला सेनाओं की भर्ती करी गई तभी से आईएसआईएस के लड़ाके यह मानकर चल रहे थे कि अगर वे युद्ध में महिलाओं के हाथों मारे गए तो उन्हें जन्नत में 72 हूरें नसीब नहीं होगी और वे जन्नत के हकदार भी नहीं कहलाएंगे ऐसे में लाजमी है कि अफगानिस्तान की सेना ने तालिबान के खिलाफ लड़ाई में इसी मानसिक हथियार का इस्तेमाल किया हो।
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