जिस फोटोग्राफर की मौत पर लिबरल वामपंथी गिरोह गला फाड़ फाड़ कर विलाप कर रहे हैं उस फोटोग्राफर को तालिबान ने बेरहमी से कत्ल कर दिया। फोटोग्राफर की बात की जा रही है , उसके निधन पर ट्वीट ना करने पर सरकार की बात की जा रही है, फोटोग्राफर के काम की बात की जा रही है…मगर उस पर बात नहीं की जा रही है जिसने दानिश को कत्ल किया… इसे ही कहते हैं वामपंथ का प्रोपेगेंडा।


दरअसल अब सवाल उठ रहे हैं कि दानिश जब तालिबान की तरह शांतिप्रिय समुदाय से था तब फिर उसका कत्ल क्यों किया गया? लोग सोशल मीडिया पर चुटकी ले रहे हैं और कह रहे हैं कि दानिश की जैकेट पर अंग्रेजी में Press लिखा था और मदरसों में तो अंग्रेजी पढ़ना हराम है इसलिए तालिबान को लिखा हुआ Press समझ नहीं आया और उन्होंने दानिश को मार गिराया।


शायद इसी वजह से योगी सरकार मदरसों का आधुनिकीकरण कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक हाथ में कुरान और कंप्यूटर का नारा देकर मदरसों के आधुनिकीकरण की दिशा में जोर दिया था.. काश 15वीं सदी की मानसिकता पर जीने वाले शांतिप्रिय समुदाय के अधिकतर लोग पढ़ लिखकर कामयाब हो जाते तो आज दानिश सिद्दीकी जैसे महान फोटोग्राफर जिंदा होते। मगर अफसोस ये हो न सका और अंग्रेजी हराम मानसिकता ने दानिश को मार दिया।

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