देश में जिस तरीके से ईसाई धर्मांतरण बड़े पैमाने पर किया जा रहा है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि इसकी साजिश की जड़ें काफी गहरी हैं। इन दिनों देश में धर्मांतरण से सबसे ज्यादा प्रभावित कोई राज्य है तो उसका नाम है पंजाब। पूरे देश में चावलों का बोरा देने के नाम पर ईसाई मिशनरी धर्मांतरण का खेल रचते हैं मगर पंजाब में वह कनाडा का वीजा दिलाने और दूसरी भौतिक सुविधाएं देने के नाम पर नीची जाति के सिखों का धर्मांतरण कर रहे हैं।


गौरतलब है कि विश्व का चौथा सबसे बड़ा चर्च पंजाब के जालंधर में बन रहा है और उसके पीछे बहुत बड़ी विदेशी फंडिंग की जा रही है। इतनी बड़ी विदेशी फंडिंग और बड़े पैमाने पर पैसा खर्च के बावजूद भी प्रशासनिक एजेंसियां सो रही हैं। पंजाब में हिन्दू कम और सिख अधिक हैं लेकिन बावजूद इसके ईसाई मिशनरी बड़े पैमाने पर लोगों का धर्म परिवर्तन करा रही हैं। अन्य राज्यों की तरह पंजाब में चावल की बोरी नहीं, बल्कि विदेश जाने का वीजा और सैलरी का लालच दिया जा रहा है। यही नहीं मिशनरियों ने पंजाब में एक अलग ही रणनीति अपनाई है। इस राज्य में वे हिन्दू धर्म और सिख धर्म से जुड़ी पहचान को अपना कर लोगों को आकर्षित करते हैं और इस सफाई से किसी भी परिवार का धर्म परिवर्तन कराते हैं कि पड़ोसियों को भी भनक नहीं लगती।

पंजाब में हिंदू संतों की पोशाक धारण करने वाले ईसाई मिशनरियों की भीड़ को पंजाब के अंदरूनी हिस्सों में देखा जा सकता है, जो कि सिख और हिंदुओं दोनों के पिछड़े वर्गों के बीच, नगद या वस्तु के रूप में, भौतिक प्रलोभनों के साथ प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।वे मुख्य रूप से पिछड़े वर्ग को लक्षित करते हैं, जो पंजाब की आबादी का लगभग 32% हैं और उच्च जाति के हिंदू और सिखों द्वारा समान रूप से व्यवहार नहीं किया जाता है।

पंजाब में ईसाई धर्म परिवर्तन सिख और हिंदू धर्म की कीमत पर बढ़ा है। अगर जल्द से जल्द सख्त कदम नहीं उठाये गए तो यह न सिर्फ देश के लिए, बल्कि भारत और खासकर सिखों के लिए घातक साबित होगा।

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