1921 को मालाबार इलाके में मोपला विद्रोह की शुरुआत हुई थी. मालाबार के मुसलमानों का यह विद्रोह शुरू में खिलाफत आंदोलन (Khilafat Movement) के समर्थन और अंग्रेजों के खिलाफ था, लेकिन जल्द ही यह सांप्रदायिक हिंसा में तब्दील हो गया. मोपला मुलसमानों के निशाने पर बड़े पैमाने पर हिंदू आए।
सांप्रदायिक हिंसा (Communal Violence)में हजारों हिंदुओं की हत्या कर दी गई. हजारों का धर्म परिवर्तन कर मुसलमान बना दिया गया. हिंदू महिलाओं के साथ बलात्कार किए गए. संभवतः इन्हीं बातों के आलोक में मोपला विद्रोह को हिंदुओं के खिलाफ मुसलमानों का पहला जिहाद कहा जाता है। इतिहासकारों का मत है कि पूरी दुनिया के मुसलमानों को प्रभावित करने के लिए ही गांधी जी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया था ताकि देश में खिलाफत आंदोलन पूरी ताकत के साथ चल सके और अंग्रेज खिलाफत आंदोलन से भयभीत हो जाएं।
खिलाफत आंदोलन की शुरुआत में आंदोलन अंग्रेजों के खिलाफ था. अंग्रेजों ने इस आंदोलन को कुचलने के लिए हर हथकंडा अपनाया. इस आंदोलन के बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद मालाबार इलाके में आंदोलन का नेतृत्व मोपला मुसलमानों के हाथों में चला गया. मोपलाओं के हाथ में जाने के बाद आंदोलन बिगड़ गया. मोपलाओं ने ऊंची जाति के जमींदार हिंदुओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया. ये जमींदारों के खिलाफ बटाईदारों का विद्रोह बन गया. मोपला मुसलमान कम मजदूरी, काम करने के तौर तरीकों और दूसरे भेदभावों की वजह से हिंदू जाति के जमींदारों से नाराज थे. केरल में जमींदारों के खिलाफ इस तरह के विद्रोह पहले भी होते रहे थे. 1836 और 1854 में भी इस तरह के विद्रोह हुए थे. 1841 और 1849 का विद्रोह काफी बड़ा था, लेकिन 1921 में हुआ मोपलाओं के विद्रोह ने काफी हिंसक शक्ल अख्तियार कर लिया।
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