कल तक उत्तर प्रदेश के अमेठी में जहां न तो सड़के थीं ना ही बुनियादी सुविधाएं, जाहिर है अगर सूबे का जनप्रतिनिधि अपना स्वार्थ सिद्ध करने में जुट जाए तो भला सूबे का विकास कैसे होगा, कुछ ऐसा ही हाल अमेठी का किया उस वक्त के सांसद राहुल गांधी ने. खैर ये बाते पुरानी हो गई लेकिन आपको बताना जरुरी है कि अब अमेठी में विकास की बयार साफ बहती दिख रही है.
दरअसल भारत और रूस के बीच होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपने मंत्रिमंडल के साथ भारत दौरे पर हैं। इसी कड़ी में शिखर सम्मेलन से पहले दोनों देशों के विदेश मंत्रियों और रक्षामंत्रियों के बीच बैठक हुई. सोमवार को नई दिल्ली में सुषमा स्वराज भवन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अपने रूसी समकक्ष सर्गेई शोइगू के साथ बैठक की .
रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच S400 मिसाइल सिस्टम की समय पर आपूर्ति-तैनाती और AK 203 राइफल की डील को लेकर चर्चा हुईं। इस दौरान दोनों देशों के बीच एग्रीमेंट भी साइन किए गए। ANI के मुताबिक भारत-रूस राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से कुल 6,01,427 7.63×39 मिनी असॉल्ट राइफल्स AK-203 की खरीद के लिए कॉन्ट्रैक्ट शामिल है। भारत-रूस राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड प्रोग्राम 2021-2031 से सैन्य-तकनीकी सहयोग का प्रोग्राम है। सूत्रों ने बताया कि एके-203 राइफल्स तीन दशक से ज्यादा वक्त से पुरानी इंसास राइफल की जगह लेंगी. AK-203 असॉल्ट राइफल्स कम वजनी हैं और आधुनिक हैं. ये अपनी 300 मीटर की प्रभावी रेंज के साथ सैनिकों की युद्ध क्षमता को बढ़ाएंगी. इनमें एके 203 में 7.62x39mm की गोली का इस्तेमाल होता है. कैलिबर के मामले में भी यह गन काफी खतरनाक है.
इस डील के तहत 5 लाख से ज्यादा राइफलें तैयार की जानी हैं, जिससे भारतीय सुरक्षा बलों को बड़ी मदद मिलेगी। यही नहीं इसमें अमेठी के विकास और रोजगार की उपलब्धता के लिहाज से भी इसे बेहद अहम माना जा रहा है। रूस और भारत के बीच अगले 10 साल तक सैन्य तकनीक के सहयोग को लेकर भी करार हुआ है। यह अग्रीमेंट 2021 से 2031 तक लागू रहेगा।
बैठक को लेकर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध बहुपक्षवाद, वैश्विक शांति, समृद्धि और आपसी समझ के आधार पर समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। रक्षा मंत्री के मुताबिक, जिस तरह वैश्विक जियो पॉलिटिकल हालात बदल रहे हैं ऐसे वक्त में भारत और रूस के बीच शिखर सम्मेलन का होना विशेष रणनीतिक साझेदारी की ओर इशारा करता है।
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