अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिस तरह से फिरोजपुर में 20 मिनट तक बंधक बनाकर रखा गया उस वाकये ने पूरे देश में प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर से बहस छेड़ दी है हम उस देश में रहते हैं जिस देश ने दो प्रधानमंत्री को खोया है इसके बावजूद मोदी की सुरक्षा में ढील क्यों बरती गई अब आप राजीव गांधी के इस वाकये से सीख लीजिए …2 अक्तूबर 1986 के दिन सुबह जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी गांधी की समाधि पर श्रधांजलि अर्पित करने पहुँचे तब अचानक से उन्हें निशाना बनाकर गोली चलने लगीं, राजीव गांधी की के सुरक्षा कर्मी तुरंत हरकत में आए और देखा कि पास में ही एक पेड़ पर चढ़ा एक आदमी गोली चला रहा है, सुरक्षाकर्मियों ने उसे घेर लिया और उसे पेड़ से नीचे उतारा गया।
शुरुआती पूछताछ में उसने अपना नाम मनमोहन देसाई बताया था लेकिन फिर कड़ी पूछताछ में उसने अपना असली नाम कमलजीत सिंह बता दिया। कमलजीत सिंह 84 के दंगों से नाराज़ था, और उसने राजीव गांधी से बदला लेने की नीयत से उन्हें मारने का प्लान बनाया था।
करमजीत सिंह तीन महीने से प्रधानमंत्री राजीव गांधी की रेकी कर रहा था और जब उसे कोई मौक़ा नहीं मिला तो उसने उन्हें 2 अक्तूबर 1986 के दिन गांधी की समाधि राजघाट पर मारने का प्लान बनाया।
इसके लिए करमजीत सिंह पूरे दस दिन पहले एक पेड़ पर जाकर बैठ गया, और उसे वहाँ से टॉलेट के लिए भी नीचे न उतरना पड़े इसके लिए वो दस दिनों के लिए सिर्फ़ 10 रुपए के भुने चने और सिर्फ़ 5 लीटर पानी लेकर गया। हर दिन वो दो तीन घंटे में सिर्फ़ दो तीन दाने चने खाता और सिर्फ़ मुँह गीला करने के लिए पानी पीता। वो दस दिन पहले इसीलिए वहाँ जाकर बैठ गया था क्यूँकि फिर वहाँ प्रधानमंत्री के आने की तैयारी से सुरक्षा बहुत बढ़ जाने वाली थी।
इस बीच वहाँ पाँच छह दिनों तक बारिश भी हुई वो बारिश में भी पेड़ पर चढ़ा रहा, तरह तरह के जीव जंतु उसके शरीर पर रेंगते थे लेकिन वो अपनी नफ़रत में और बदले के जुनून में इस क़दर डूबा हुआ था कि सब कुछ सह कर भी दास दिनों तक उसने वहाँ राजीव गांधी के आने का इंतेज़ार किया।
वो राजीव गांधी को मारने के लिए गंगानगर से 300 रुपए का देशी कट्टा ख़रीद के ले गया था और उस कमज़ोर कट्टे के कारण ही राजीव गांधी की जान बच पाई…
इस घटना के तुरंत बाद जब दूरदर्शन के रिपोर्टर ने राजीव गांधी से बात की और उनकी सुरक्षा के संबंध में चिंता ज़ाहिर की तब राजीव गांधी ने एक ही जवाब दिया, चिंता की कोई बात नहीं, सब कुछ एकदम नॉर्मल है…
हालाँकि इसके बाद राजीव गांधी पर दो जानलेवा हमले और हुए, और दूसरे हमले में वो अपनी जान गंवा बैठे..प्रधानमंत्री की सुरक्षा बेशक़ सबसे ज़्यादा प्रायऑरिटी का विषय है, इससे तो कभी कोई समझौता किया नहीं जा सकता…।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.