महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर राज ठाकरे का नाम सुनाई देने लगा है. महाराष्ट्र की सियासत में एक ऐसा नाम है, जो एक करिश्माई शख्सियत होते हुए भी राजनीतिक रूप से हाशिए पर रहा. उनकी राजनीति को कई लोग पसंद-नापसंद कर सकते हैं लेकिन राज ठाकरे की उपस्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता . राज ठाकरे ने काफी हद अपनी छवि को बाला साहेब ठाकरे जैसा बनाने की कोशिश की लेकिन ये इतना आसान नहीं था. नतीजतन राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर अपना राजनीतिक दल महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की नींव रखी .
दरअसल, ठाकरे परिवार महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले कई दशकों से हावी है . बालासाहेब ठाकरे को पूरे भारत में हिंदू हृदय सम्राट के रूप में पहचाना जाता था और राज ठाकरे उन्हें अपना आदर्श मानते हैं. एक तरफ जहां बाला साहेब के बेटे उद्धव ठाकरे ने सत्ता के लालच में कांग्रेस और NCP से हाथ मिलाने के लिए अपनी हिंदुत्व की विचारधारा तक से समझौता कर लिया तो दूसरी तरफ राज ठाकरे ने शिवसेना से जुदा एक अलग ही राह बना ली. अभी दो दिन पहले मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने हिन्दु नववर्ष के मौके पर एक रैली में कहा कि मस्जिदों में लाउडस्पीकर इतनी तेज आवाज में क्यों बजाए जाते हैं? अगर इसे नहीं रोका गया तो मस्जिदों के बाहर स्पीकर पर अधिक तेज आवाज में हनुमान चालीसा बजाया जाएगा। इस बयान के बाद से तो वो चर्चा में आ ही गये थे लेकिन ठीक इसके बाद केंद्रीय मंत्री नितिन ग़डकरी से उनकी मुलाकात ने सियासी कयासों का बाजार गर्म कर दिया है. नितिन गडकरी ने मुंबई में राज ठाकरे से उनके आवास पर मुलाकात की. जिसके बाद ऐसे में इस मुलाकात को लेकर कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. हालांकि नितिन गडकरी का कहना है कि ‘ये कोई राजनीतिक बैठक नहीं थी. राज ठाकरे और उनके परिवार के सदस्यों के साथ मेरे अच्छे संबंध हैं. मैं उनका नया घर देखने और उनकी मां का हालचाल जानने आया था.’
चलिए परदे के पीछे क्या चल रहा है वो धीरे-धीरे सामने आ ही जाएगा. लेकिन इस बीच इस मुलाकात पर कुछ लोगों का कहना है कि राज ठाकरे अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने में जुटे हुए हैं . वहीं शिवसेना तो राज ठाकरे को बीजेपी की बी टीम बता रही हैं. शिवसेना का आरोप है कि कुछ ही दिनों बाद निकाय चुनाव होने वाले हैं जिसकी वजह से वोटों के बंटवारे के लिए ये बीजेपी की बी टीम है.
आपको मालूम होगा कि जिस NCP के खिलाफ लड़ते हुए बाला साहेब जेल तक गए और जिस कांग्रेस को बालासाहेब बिल्कुल भी पसंद नही करते थे आज उद्धव ठाकरे सीएम के पद के लिए उन्हीं की गोद में जा बैठे। जो शिवसेना बाला साहेब के आदर्शों को भूलते हुए हिंदुत्व की राजनीति से भटक चुकी है उसी सपने को राज ठाकरे पूरा करने के लिए आगे बढ़ते दिखाई दे रहे हैं. ऐसे में जिस तरह से राज ठाकरे एक-एक कदम आगे बढ़ रहे हैं उन्हें बीजेपी के साथ गठबंधन पर विचार करना चाहिए और स्वयं बालासाहेब ठाकरे की विरासत को बचाने के लिए सामने आना चाहिए। यह उनके और महाराष्ट्र, दोनों के हित में होगा।
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