मध्य प्रदेश में रामनवमी के मौके पर कट्टरपंथियों द्वारा भड़काई गई हिंसा के बाद जिस तरह से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक्शन लिया है उसकी चर्चा हर किसी की जुबान पर है. राज्य सरकार ने खरगोन शहर में रामनवमी जुलूस पर पथराव करने के आरोपियों के कम से कम 50 से ज्यादा अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चला दिया क्योंकि शिवराज सिंह चौहान से साफ शब्दों में दंगाइयों को चेताया था कि हिंसा के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्तियों की भरपाई दंगाइयों से ही की जाएगी.
इसके बाद तो मानो एक के बाद एक इनके हमर्दद सामने आकर इनके लिए आंसू बहाने लगे और उल्टे सरकार की कार्रवाई पर ही सवाल खड़े करने लगे. कट्टरपंथी पर कार्रवाई के बाद से लिबरलों में आग लग गई है। इनकी संपत्तियां जमींदोज होती देख ये इंसानियत की परिभाषा बताने लगे . इनकी नजर में सरकार सिर्फ मुसलमानों के घरों को ही निशाना बना रही थी बल्कि सच्चाई तो कुछ और ही है. वैसे सच्चाई इन्हें दिखेगी भी कैसे इन्होंने अपने आंखों पर पट्टी जो बांधी हुई है.
दरअसल रामनवमी के जुलूस के दौरान भड़की हिंसा ने कई परिवारों को ऐसा जख्म दिया जो सालों साल ताजा रहेंगे। कई परिवारों के घर हिंसा में खाक हो गए. इस हिंसा में 16 साल के शिवम और उसके परिवार का दर्द भी ऐसा ही है. शिवम हिंसा के दौरान बुरी तरह से घायल होने के बाद जिंदगी और मौत के बीच सांसों के लिए संघर्ष कर रहा है, फिलहाल खबर है कि उसे होश आ गया है . शिवम की बहन की इसी महीने की 17 तारीख को शादी होनी थी लेकिन फिलहाल उसे कुछ समय के लिए टाल दिया गया है. चोट के कारण शिवम के सिर की हड्डी टूटकर उसके ब्रेन में जा घुसी है।
This is Shivam. He was part of a Ram Navami procession on that fateful day of arson and stone pelting in Khargone, Madhya Pradesh. Shivam was shot in the head. What was his fault?
Shivam is on a ventilator, battling for his life. Pray for him. pic.twitter.com/zLcWfLZvmT
— Anand Ranganathan (@ARanganathan72) April 13, 2022
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शिवम के रिश्तेदार का कहना था कि जुलूस देखने के लिए हम घर के बाहर खड़े थे। उसी दौरान मुस्लिम समुदाय के उपद्रवी आए और पत्थर मारने लगे। शिवम भी वहीं खड़ा था। इसी दौरान एक पत्थर आकर शिवम के सिर पर लगा। पत्थर लगते ही वह गिर गया और उसके सिर से खून बहने लगा। जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया. शिवम का गांव खरगोन से 100 किलोमीटर दूर निसरपुर में है और उसके पिता किसान है. शिवम खरगोन में अपने मामा के घर रहकर ITI से कंप्यूटर में डिप्लोमा कर रहा था।
सवाल ये कि क्या बुलडोजर पर सरकार की कार्रवाई पर उंगली उठाने वाली सेक्युलर गैंग को शिवम के बारे में कोई जानकारी है. क्या किसी ने भी 16 साल के बच्चे या उसके परिवार से हाल-चाल जानने की कोशिश की, जवाब है नहीं. क्योंकि इनको सिर्फ और सिर्फ अपने प्रोपेगेंडा से मतलब है. उनके आंसू तो कुछ खास लोगों के लिए थे. अगर यहां शिवम की जगह शौकत होता तो माजरा ही कुछ और होता. फिलहाल हमारी तो यही प्रार्थना है कि शिवम सकुशल अपनों के बीच दोबारा लौटे.
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