जहां एक तरफ विवेक अग्निहोत्री ने अपनी फिल्म द कश्मीर फाइल्स के जरिये कश्मीरी पंडितों पर हुए जुल्म को 32 साल बाद दुनिया के सामने रखा फिल्म ने नए रिकॉर्ड बनाएं तो वहीं कुछ लोगों को इस फिल्म से इतनी परेशानी होने लगी कि वे लगातार विरोध करने लगे, चलिए विरोध तक तो फिर भी ठीक था लेकिन आप तो उन लोगों पर ठहाके लगा कर हंसे जिन्होंने नरसंहार और पलायन जैसी पीड़ा को झेला है, आपने उनका मजाक बनाया. उसके बाद आपने झूठ का सहारा लिया. आप फिल्म को लेकर लगातार झूठ पे झूठ बोले जा रहे हैं लेकिन अब आप खुद अपने ही बुने झूठ के जाल में फंसते जा रहे हैं.

अब तक तो आप समझ ही गए होंगे कि हम किनकी बात कर रहे हैं. जी हां दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की. जिन्होंने अपनी राजनीति का स्तर इतना नीचे गिरा दिया है कि उन्हें पलटूमार नेता की पदवी भी दी जा सकती है. वो किसी भी मामले पर अपनी गलत बयानबाजी से बाज नहीं आते. पहले तो वे दिल्ली विधानसभा में ‘द कश्मीर फाइल्स’ को एक झूठी फिल्म बताते हैं और फिर कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार और उसके बाद कश्मीर घाटी से पलायन के दौरान हुई पीड़ा पर ठहाके लगाते हैं. लेकिन जब हर तरफ से केजरीवाल की इस घटिया हरकत पर बवाल मचना शुरू हुआ तो केजरीवाल डैमेज कंट्रोल में लग गए.

एक टीवी चैनल को दिये अपने इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा में फिल्म के बारे में उनकी टिप्पणी को “गलत तरीके से दिखाया गया है । उन्होंने कहा कि बीजेपी 8 साल सत्ता में रहने के बावजूद जम्मू-कश्मीर छोड़ने वालों के पुनर्वास की व्यवस्था करने के बजाय एक फिल्म का प्रचार कर रही है। कश्मीरी हिंदुओं के साथ बहुत बड़ा अन्याय हुआ है। यह बहुत बड़ी त्रासदी थी। जो लोग कश्मीर छोड़ने को मजबूर हुए थे, उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जानी चाहिए थी। वहां जमीन मुहैया कराई जानी चाहिए थी और एक नीति बनाई जानी चाहिए थी।” केजरीवाल ने ये भी कहा “बीजेपी के लिए, कश्मीर फाइल्स महत्वपूर्ण हैं। मेरे लिए कश्मीरी पंडित अधिक महत्वपूर्ण हैं। जिन लोगों को कश्मीर से भागना पड़ा, उनमें से 233 ऐसे थे जो 1993 में अनुबंध शिक्षकों के रूप में दिल्ली सरकार में शामिल हुए। जब हमारी सरकार आई, तो मैंने 233 शिक्षकों को स्थायी किया। हमने उन पर फिल्म नहीं बनाई।”

साभार-सोशल मीडिया

लेकिन ये क्या , केजरीवाल तो बीजेपी का विरोध करते-करते झूठ बोलने का नया कीर्तिमान ही स्थापित करने लगे, दरअसल ‘प्रवासी शिक्षक संघ ने ट्विटर पर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर केजरीवाल को ही बेनकाब कर दिया है। जिसमें साफ कहा गया है कि अरविंद केजरीवाल झूठ बोल रहे थे। इस मामले को कई समाचार पत्रों में प्रकाशित रिपोर्टों से भी सत्यापित किया जा सकता है। शिक्षकों के निकाय ने दावा किया कि दिल्ली सरकार ने उनकी सेवा नियमितीकरण में बाधा डालने की पूरी कोशिश की. आलम ये है कि केजरीवाल चौतरफा घिरते जा रहे हैं। हालांकि धीरे-धीरे इस विवाद के बाद से केजरीवाल के तेवर थोड़े नरम पड़ते दिख रहे हैं. लेकिन इसके पीछे भी केजरीवाल की स्वार्थ की राजनीति है

दरअसल पंजाब के जीत से अतिउत्साहित आम आदमी पार्टी की नजर दिल्ली एमसीडी चुनावों पर है, जहां AAP अच्छा प्रदर्शन करना चाह रही है वहीं दूसरी तरफ लगता है कि द कश्मीर फाइल्स को लेकर दिया गया केजरीवाल के बयान पार्टी की लुटिया न डुबे दे. लेकिन केजरीवाल जी को इतना समझ आ गया होगा कि इतने दिनों में फ्री के नारे और तुष्टिकरण की राजनीति करके जो हाल आपने दिल्ली का किया है उससे सभी परिचित हो गए हैं. लेकिन देश की जनता को केजरीवाल का असली रंग दिख गया है और हिन्दू समुदाय तो पूरी तरह से केजरीवाल के खिलाफ लामबंद हो गया है जिसका नतीजा जल्द आपको दिल्ली MCD चुनाव में दिखेगा. वैसे हमारी एक और सलाह माननीय केजरीवाल जी के लिए है कि राजनीति में शब्दों की गरिमा बहुत जरुरी है. जिसका ध्यान रखे.

 

 

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