उद्बोधन सत्र में श्री नरेंद्र सुर्वे जी ने बताया कि आज 121 इसाई देश है, 52 इस्लामिक देश हैं, इजराइल भी एक राज्य है पर एक भी हिन्दू राष्ट्र नहीं है। आज हम सभी अलग अलग कार्य कर रहे है, पर हिन्दू जनजागृति समिति इन सभी को एकत्रित करने का कार्य अधिवेशन के माध्यम से कर रही है। हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु जिस प्रकार गोप गोपियों ने लाठियां लगाई थी उसी प्रकार हमें भी करने की आवश्यकता है ।
भारत विकास परिषद के प्रकाश वीर सोलंकी जी ने कहा हम अलग अलग हो कर कोई कार्य नहीं कर सकते। अभी सबसे महत्वपूर्ण है राष्ट्र का रक्षण करना ।
हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी जी ने कहा कि यज्ञ संकल्प के साथ शुरू होता है । हिन्दू राष्ट्र का संकल्प लेना आज की आवश्यकता है। अगर हम सनातन धर्म की रक्षा करना चाहते हैं तो हमें हिन्दू धर्म में बताए गए शास्त्र का पालन करना होगा, आचरण के कारण धर्म की रक्षा होती है। आपातकाल में स्वयं के रक्षण हेतु प्रथमोपचार, अग्निशमन प्रशिक्षण, अग्निहोत्र का अभ्यास करना, औषधीय पौधों का रोपण करना काल की आवश्यकता है। सनातन धर्म इतिहास नहीं भविष्य लिखता है। वाल्मीकि जी ने रामायण का लेखन उसके घटित होने से पूर्व ही किया। आज हिन्दुओं को जाति, पंथ संप्रदाय इत्यादि को छोड़कर हिन्दू होने के कारण आगे आने की आवश्यकता है। हिन्दुओं को हिन्दू धर्म की शिक्षा देने की आवश्यकता है। हलाल सर्टिफिकेशन एक अन्य बड़ी समस्या भारत में तेजी से बढ़ रही है जो पूर्ण भारत को व्याप्त करता जा रहा है, लव जिहाद भी एक अन्य बड़ी समस्या है जिसके लिए समिति ने बड़े प्रमाण में कार्य किया है जिसके कारण आज उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य बन गया है जहाँ पर लव जिहाद पर कानून बनाया गया है। हिन्दू विरोधी पाठ्य पुस्तक पढ़ाया जा रहा है। इन बातों को ध्यान में रखकर प्रत्येक हिन्दू का ध्येय हिन्दू राष्ट्र की स्थापना ही होनी चाहिए।
अधिवेशन में यमुना संरक्षण के लिए कार्य करने वाले प्रोजेक्ट आत्मनिर्भर संस्थान के संस्थापक श्री रंजीत चतुर्वेदी पाठक तथा सहयोगी श्री. धर्मदास चतुर्वेदी जी उपस्थित थे ।
अधिवेशन में हिन्दुओं को धर्मशिक्षा और राष्ट्र प्रेम निर्माण करने वाली फ्लेक्स प्रदर्शनी लगाई गई जिसे देख कर धर्म प्रेमियों में एक उत्साह निर्माण हुआ। इसके अतिरिक्त सनातन की ग्रन्थ प्रदर्शनी भी लगाई गई थी इस कार्यक्रम का लाभ 70 से अधिक धर्मप्रेमियों ने लिया।
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