न्यायपालिका की विश्वसनीयता आज धरातल पर हैं, अर्णब के मामले में न्यायपालिका स्वयं की कमजोरियों को और उजागर कर रही हैं

अर्णब गोस्वामी को घर से उठा लिया गया , एक ऐसे केस में जो बंद हो चुका था। जिसमें अदालत का फैसला आ चुका था। ना केवल अर्णब को उठाया गया, बल्कि जेल भी भेज दिया गया। और आज तक जेल में ही हैं।

मुम्बई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार जो कर रही हैं वो देश के सामने हैं लेकिन साथ ही न्यायपालिका का रुख भी देश की नजरों में सवालो के दायरे में आता दिख रहा हैं।

इस देश में देखा गया है कि कोर्ट से दोषी साबित होने के बाद भी , सजा होने के बाद भी आधे घण्टे में जमानत लेकर बड़े बड़े स्टार अपने घर पहुंच जाते हैं। और दूसरी तरफ एक केस जो अभी खुला ही नहीं उसमे अर्णब गोस्वामी जेल में हैं और उनके बेटे और पत्नी पर भी FIR दर्ज हैं।

क्या न्यायपालिका की विश्वसनीयता जनता की नजरों में उठ पायेगी। आसान तो नहीं लगता

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