सत्यमेव जयते -ये इस देश का सबसे बड़ा असत्य है ।
सत्र न्यायालय जाने की सलाह -क्या सचमुच । ये इतना बड़ा फैसला था जिसके लिए 48 घण्टे का समय लिया गया ?
जमानत की अर्ज़ी में दम नहीं था तो खारिज़ किया जाना चाहिए था ताकि सर्वोच्च अदालत में अपील की जा सकती
सत्र न्यायालय को जमानत अर्ज़ी पर फैसला सुनाने के लिए पूरे 4 दिन की समय सीमा -सच में ।
टाडा है , पोटा है , पोक्सो है , आतंकवाद विरोधी कानून, कौन सा ऐसा संगठित अपराध है जिसके निर्धारण में इतना समय ??
शुक्रवार तक अर्ज़ी लंबित , उसी दिन खारिज़ भी हो जाए तो भी अपील के लिए दिवाली के अवकाश के बाद का समय मिलेगा । और यही असली साजिश है , सबक सिखाने की ।
अर्नब को दीपावली जेल में बितानी पड़े इसकी पुरजोर कोशिश होगी । अगर दीपावली तक अर्नब घर नहीं आ पाते तो यकीनन ही मेरे जैसे इंसान के लिए भी वो रात काली होगी ।
आखिरी बात – कितने बुजदिल हो बातो श्री ,छी “शिवाजी” का नाम और ये नीयत । धिक्कार है , लानत है । कम से कम उनके इंसाफ को तो याद रख पाते ।
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