50 साल तक कभी सत्ता में नहीं आ पाएगी कांग्रेस : ग़ुलाम नबी आजाद
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने एक बार फिर कांग्रेस वर्किंग कमेटी और संगठन के प्रमुख पदों पर चुनाव करवाने पर जोर दिया है। आजाद ने गुरुवार को कहा, “चुने हुए लोग लीड करेंगे तो पार्टी के लिए अच्छा होगा, नहीं तो कांग्रेस अगले 50 साल तक विपक्ष में बैठी रहेगी। हो सकता है कि नियुक्त (अपॉइंट) किए जाने वाले अध्यक्ष को 1% लोगों का भी समर्थन नहीं हो।”
‘वफादार होने का दावा करने वाले ओछी राजनीति कर रहे’
आजाद ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी समेत, राज्यों के प्रमुख, जिला अध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्ष के पदों पर भी चुनाव करवाने पर जोर दिया। साथ ही कहा “जो लोग चुनाव करवाने का विरोध कर रहे हैं, उन्हें अपने पद खोने का डर है। जो वफादार होने का दावा कर रहे हैं, वे हकीकत में ओछी राजनीति कर रहे हैं। इससे पार्टी और देश को नुकसान होगा।”
“आंतरिक चुनाव में 51% वोट मिलने वाले की जीत होती है। इसका मतलब ये हुआ कि चुने हुए अध्यक्ष के साथ 51% लोग होते हैं। अगर कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य चुनाव से तय होंगे, तो उन्हें हटाया नहीं जा सकता। इस बात में परेशानी क्या है?”
देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस (Congress) में नेतृत्व की अनिश्चितता ने कांग्रेस को कहीं न कहीं कमजोर कर दिया है इससे पार्टी में ही कलह बढ़ गया है तो वहीं कार्यकर्ताओं के माथे पर चिंता की लकीरें और गहरी होती जा रही हैं. उल्लेखनीय है कि बीते सात अगस्त को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं द्वारा लिखे गए पत्र में पार्टी हाईकमान को चेतावनी दी गई कि वे कार्यकर्ताओं के साथ राज्यों में उतर सकते हैं.
रविवार को पहली बार यह पत्र देखा गया जिसमें कांग्रेस की लगातार गिरावट के 11 एजेंडे बताए गए. वहीं लगातार पार्टी की हार पर आत्म-निरीक्षण की भी बात कही गई. इसके अलावा कांग्रेस से केंद्र में सत्ताधारी पार्टी भाजपा के खिलाफ लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष ताकतों के राष्ट्रीय गठबंधन के गठन की पहल करने की भी अपील की गई.
ये हैं कांग्रेस के 23 नेताओं की चिट्ठी के वो 11 सुधार एजेंडे
- ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) और प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC)में फुल टाइम लीडरशिप उपलब्धता.
- प्रदेश कांग्रेस कमेटी की जिला कमेटियों को अधिक सम्मिलित करना.
- जिला कांग्रेस कमेटी प्रमुख को प्रदेश अध्यक्ष और पीसीसी अध्यक्ष के समन्वय से नियुक्त किया जाना चाहिए.
- केंद्रीय संसदीय बोर्ड का तत्काल गठन.
- राष्ट्रव्यापी सदस्यता अभियान.
- पीसीसी एआईसीसी सदस्यों के लिए पारदर्शी चुनाव.
- कांग्रेस संविधान के अनुसार कांग्रेस कार्यसमिति सदस्यों का चुनाव.
- केंद्रीय चयन समिति का पुनर्गठन.
- संसद विधानसभा प्रत्याशियों के लिए स्क्रीनिंग कमेटी में अनुभवी नेता होन चाहिए.
- एक स्वतंत्र चुनाव प्राधिकरण का गठन किया जाए.
- पुनर्जीवित करने के लिए संस्थागत नेतृत्व तंत्र पर ध्यान केंद्रित करें.
2019 के चुनावी फैसले के 14 माह बाद भी ईमानदार आत्मनिरीक्षण नहीं किया
ऑनलाइन मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार शाम को यह पत्र प्रकाशित किया गया जिसमें लिखा था, “2019 के चुनावी फैसले के 14 महीने बाद भी, कांग्रेस पार्टी ने अपने निरंतर गिरावट के कारणों का विश्लेषण करने के लिए कोई ईमानदार आत्मनिरीक्षण नहीं किया है।” पत्र के अनुसार पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) भाजपा के खिलाफ जनता की राय बनाने में संगठन का प्रभावी मार्गदर्शन नहीं कर रही थी। पत्र में कहा गया कि मेरिट-आधारित और सर्वसम्मति समर्थित “संस्थागत प्रक्रिया” चयन बाधित हो गया है.
पत्र में सोनिया और राहुल गांधी के नेतृत्व की सराहना, नेहरू को किया याद
पत्र में कहा गया, “हमने 2014 और 2019 में राज्यों और आम चुनावों में पार्टी की लगातार गिरावट देखी है. साथ ही साथ पत्र में यह भी कहा गया कि नेतृत्व अनिश्चितता ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल गिराया है और पार्टी को और कमजोर किया है.
इसी समय पत्र लिखने वालों ने नेहरू-गांधी परिवार की भूमिका को स्वीकार किया, ताकि भारतीय राजनीति में कांग्रेस को एक मजबूत ताकत बनाया जा सके.
पत्र में सोनिया और राहुल गांधी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा गया, “हम दृढ़ संघर्ष, दूरदर्शी नेतृत्व और पंडित जवाहरलाल नेहरू के उल्लेखनीय योगदान को स्वीकार करते हैं. उनकी स्थायी विरासत हमेशा कांग्रेस पार्टी के लिए मार्गदर्शन और प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी. नेहरू-गांधी परिवार हमेशा कांग्रेस पार्टी के सामूहिक नेतृत्व का एक अभिन्न अंग रहेगा.”
बता दें कि हाईकमान के आलोचक के रूप में देखे जाने वाला पत्र सोमवार को कांग्रेस कार्यसमिति सीडब्ल्यूसी CWC की बैठक में नेताओं के आपत्तिजनक बयानबाजी का कारण बना. कांग्रेस नेताओं के द्वारा किए हस्ताक्षर पर बैठक में जोरदार चर्चा हुई. सीडब्ल्यूसी की बैठक में सात घंटे तक चली लंबी बहस के बाद पार्टी ने संगठन में किसी भी आवश्यक बदलाव के लिए सोनिया गांधी को चुना गया. वहीं राहुल गांधी के नाम पर भी पार्टी में भरोसे की पुष्टि की गई. बीते 10 अगस्त, 2019 को कांग्रेस कार्यसमिति CWC ने राहुल गांधी के बाद सोनिया गांधी को पार्टी का अंतरिम प्रमुख चुना.
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