झारखंड की सियासत में इन दिनों मानो भूचाल आया हुआ है, सियासी खींचतान जोरों पर है। आरोप प्रत्यारोप का दौर चल पड़ा है ऐसे में गड़े मुर्दे भी उखाड़े जा रहे हैं। कुछ दिनों पहले ही राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और झारखंड बीजेपी के नेताओं ने संवैधानिक पद का दुरुपयोग करते हुए अपने नाम पर खनन पट्टा आवंटित किये जाने को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर बड़े आरोप लगाये गये थे. इसी कड़ी में अब चुनाव आयोग ने भी हेमंत सोरेन को नोटिस भेज कर जवाब मांगा है . जिसमें EC ने उनसे ये जवाब मांगा है कि खुद को खनन पट्टा जारी करने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए? जो आरपी अधिनियम की धारा 9ए का उल्लंघन करती है। धारा 9ए सरकारी अनुबंधों के लिए किसी सदन से अयोग्यता से संबंधित है।
BREAKING: EC sends notice to Jharkhand CM Hemant Soren asking him to explain why action should not be taken against him for having a mine lease issued in his favour, which prima facie violates Section 9A of the R. P. Act. Section 9A deals with disqualification for govt contracts
— Bharti Jain (@bhartijainTOI) May 2, 2022
चुनाव आयोग पहले से इस मामले की जांच कर रहा है कि क्या मुख्यमंत्री ने अपने पद का इस्तेमाल लाभ के लिए किया है ? मुख्यमंत्री सोरेन पर अपने पद का दुरूपयोग करते हुए खुद को ही खदान आवंटित करने का आरोप याचिकाकर्ता शिव शंकर वर्मा ने लगाया था। याचिका में कहा गया था कि सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री और वन एवं पर्यावरण विभाग के विभागीय मंत्री हैं। उनके पास खनन विभाग भी है। ऐसे में उन्होंने खुद ही पर्यावरण क्लीयरेंस के आवेदन दिया और क्लीयरेंस लेकर खुद ही खनन पट्टा हासिल कर लिया। ऐसा करना पद का दुरुपयोग और जनप्रतिनिधि कानून का उल्लंघन है.
इससे पहले रघुवर दास ने आरोप लगा चुके हैं कि सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन को रांची के बीजूपारा औद्योगिक क्षेत्र में 11 एकड़ जमीन मिली है। दास ने यह भी आरोप लगाया है कि सीएम के राजनीतिक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद को खनन पट्टे मिले, जबकि खनन विभाग खुद सीएम के पास है।
दास ने कहा,“दोनों पट्टे 2021 में दिए गए, जल्दबाजी में सभी को मंजूरी दे दी गई। अब सवाल यह है कि क्या सोरेन के पास राज्य मंत्रिमंडल में खनन और औद्योगिक दोनों विभाग हैं? क्या ये सभी फैसले उनके कार्यालय का दुरुपयोग करके लिए गए थे और सब कुछ उनकी जानकारी में था और उनके नजदीकी लोगों और प्रियजनों के नाम पर पट्टे दिए गए थे?
वहीं इसके बाद, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने इस मामले पर चुटकी लेते हुए कहा, “मुख्यमंत्री ने अपने संवैधानिक पद का पूरी तरह से दुरुपयोग करते हुए अपने नाम पर खनन पट्टा आवंटित किया। यह मामला लाभ के पद के प्रावधानों के तहत है। देश के इतिहास में ऐसा कोई मुख्यमंत्री नहीं है, जिसने उनके नाम पर पट्टा लिया हो। अगर उनके पास कोई नैतिक मूल्य रह गया है, तो उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए या कानूनी परिणाम भुगतने होंगे।
झारखंड बीजेपी पहले ही सोरेन सरकार के नाक में दम कर चुकी है और अब चुनाव आयोग ने उनसे जवाब मांगा है । देखा जाए तो सीएम हेमंत सोरेन का मामला थोड़ा बिगड़ता नजर आ रहा है .
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