आज उन महान धर्म रक्षक, हिंदू स्वाभिमान के प्रतीक महाराणा प्रताप की जयंती है जिन्होंने हर सुख का त्याग कर दिया. उन अमर बलिदानी और स्वाभिमान के पुरोधा अनुपम योद्धा महाराणा प्रताप की आज 482 वीं जयंती है.
राजस्थान में आज ही के दिन 9 मई, 1540 ईस्वी को राजस्थान के कुंभलगढ़ दुर्ग में महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था। महाराणा प्रताप को राजपूत वीरता और मजबूत इच्छा शक्ति की एक मिसाल माना जाता है। वे मुगलों के खिलाफ युद्ध लड़ने वाले अकेले योद्धा थे। मेवाड़ की शौर्य-भूमि धन्य है जहां वीरता और मजबूत इच्छाशक्ति वाले महाराणा प्रताप का जन्म हुआ। जिन्होंने इतिहास में अपना नाम अजर-अमर कर दिया। उन्होंने धर्म और स्वाधीनता के लिए अपना बलिदान दिया। सन् 1576 के हल्दीघाटी युद्ध में करीब बीस हजार हिन्दुओं को साथ लेकर महाराणा प्रताप ने मुगल आक्रांताओं की अस्सी हजार की सेना का सामना किया।
हम में से कईयों ने मेवाड़ केसरी महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक के बारे में तो सुना ही होगा लेकिन क्या आप उनके एक हाथी के बारे में भी जानते हैं ? दरअसल उदयपुर के टाइगर हिल स्थित प्रताप गौरव केंद्र में महाराणा प्रताप और उनके प्रिय हाथी जिसका नाम ‘रामप्रसाद’ था की प्रतिमा लगाई गई है | महाराणा प्रताप जो राजा होते हुए भी ना महल में रहे ना ही सिंहासन पर विराजे। वो इतने ताकतवार थे कि अकबर खुद कभी महाराणा का सामना करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। तत्कालीन मेवाड़ के इतिहासकारों युद्ध कवियों के साथ साथ रामप्रसाद हाथी का जिक्र अल बदायूंनी ने जिसने मुगलों की ओर से हल्दीघाटी के युद्ध में लड़ा था ने अपने एक ग्रन्थ में किया है। वो लिखता है कि जब महाराणा प्रताप पर अकबर ने चढ़ाई की थी तब उसने दो चीजों को बंदी बनाने की मांग की थी एक तो खुद महाराणा और दूसरा उनका हाथी रामप्रसाद.. महाराणा को तो अकबर कभी पराजित नहीं कर पाया ना ही उन्हें बंदी बना पाया.
महाराणा प्रताप का हाथी रामप्रसाद इतना समझदार और शक्तिशाली था कि उसने हल्दीघाटी के युद्ध में अकेले ही अकबर के 13 हाथियों को मार गिराया था और उस हाथी को पकडऩे के लिए 7 हाथियों का एक चक्रव्यूह बनाया था और उन पर 14 महावतों को बिठाया तब कहीं जाके उस हाथी को अकबर की सेना बंदी बना पायी थी। लेकिन विडंबना देखिए जिस दरिंदे अकबर को वामपंथी इतिहासकारों ने महान घोषित कर रखा है …उसने पशुओं का भी धर्म परिवर्तन कर दिया. अकबर ने महाराणा प्रताप के हाथी रामप्रसाद का नाम बदलकर ‘पीरप्रसाद’ रखा था।
बंदी बने हाथी रामप्रसाद को मुगल सेना ने गन्ने और पानी पीने को दिया लेकिन मजाल है कि उस स्वामिभक्त हाथी ने अपने मुंह कुछ लगाया हो. उसने 18 दिन तक मुगलों का न दाना खाया और न पानी पीया और आखिर में वो शहीद हो गया. तब अकबर ने कहा था कि, ‘जिसके हाथी को मैं मेरे सामने नहीं झुका पाया उस महाराणा प्रताप को क्या झुका पाऊंगा।’”
आप इसी से अंदाजा लगाइए कि वो महाराणा प्रताप कैसे होंगे ? जिनका हाथी ऐसा था ! ऐसे अमर बलिदानी, वीरता और शौर्य के अमर योद्धा महाराणा प्रताप को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन .
Source- Social Media
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