पिछले कुछ दिनों से तमिलनाडु की स्टालिन सरकार हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ कर रही है. DMK सरकार की शासन में हिंदू समुदाय के खिलाफ कई घटनाएं सामने आ रही हैं। कुछ ही दिनों पहले स्टालिन सरकार ने हिंदू मंदिरों पर बुलडोजर चलवाया था. उसके बाद स्टालिन सरकार ने मंदिरों के सोना को पिघला कर राज्य और शासन के इस्तेमाल में लाने का निर्णय लिया. मतलब साफ है कि हिंदुओं के धार्मिक और संवैधानिक अधिकारों को ताक पर रख तमिलनाडु सरकार भक्तों की आस्था की साथ खेल रही है.

इसी बीच स्टलिन सरकार के एक और हिंदु विरोधी फैसले के बाद तमिलनाडु उबल रहा है, दरअसल यहां करीब 500 साल पुरानी परंपरा ‘पट्टिना प्रवेशम’ पर इस बार राज्य सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया गया। भक्तों की परंपरा धर्मपुरम अधीनम के द्रष्टा को पालकी में बिठाकर कंधे पर ले जाने की परंपरा है। दरअसल, शैव मठ के महंत को पालकी में बिठाकर कंधों पर ले जाने की परंपरा पर मयिलादुथुराई कलक्ट्रेट ने मानवाधिकारों का हवाला देकर रोक लगा दी है। इसके बाद संतों-महंतों ने राज्य की एमके स्टालिन सरकार का विरोध शुरू कर दिया है। इस आदेश को दरकिनार करके पट्टिना प्रवेशम यात्रा निकालने का ऐलान कर दिया है। इस बार ये यात्रा 22 मई 2022 को निकलनी है।

मदुरै अधीनम के प्रमुख हरिहर ज्ञानसंबंदा स्वामीगल ने कहा, “धर्मपुरम अधीनम 500 साल पुराना है और पिछले 500 साल से ये परंपरा चली आ रही है. यहां तक कि अंग्रेजों ने भी पट्टिना प्रवेशम की अनुमति दी थी।”

वहीं, वैष्णव गुरु मन्नारगुडी श्री सेंडलंगरा जीयर का कहना है, “पट्टिना प्रवेशम एक धार्मिक अनुष्ठान है। इसे रोकने का अधिकार किसी को नहीं है। यह मठ के अनुयायियों द्वारा किया जाता है। मैं, मन्नारगुडी जीयर के रूप में इन ‘धर्मद्रोही’ और ‘देशद्रोही’ को उनके हिंदू विरोधी कार्यों के लिए चेतावनी देता हूँ।”

वहीं बीजेपी के राज्य इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने कहा है कि राजस्व अफसरों की ओर से लगाए गए इस बैन के खिलाफ हमारे कार्यकर्ता खुद पालकी को मठ में ले जाएंगे।

सत्ता में आने के बाद जिस तरह से DMK हिंदुओं की आस्था पर हमला कर रही है उससे साफ दिखता है कि इससे न सिर्फ हिंदुओं के प्रति उनकी संकीर्ण मानसिकता झलकती है ब्लकि ये भी दिखता है कि हिंदुओं के प्रति उनके मन में कितना जहर भरा हुआ है .सोचने वाली बात यह है कि तमिलनाडु जैसे बड़े राज्य जिसकी आबादी के 88 फीसदी तमिल हिंदू भगवान में विश्वास करते हैं, वहां हिंदुओं की आस्था को चोट पहुंचाया जाता है, जो दुर्भाग्य पूर्ण है। स्टालिन सरकार हिंदुओं के धार्मिक और संवैधानिक अधिकारों को ताक पर रख अपनी मनमानी कर रही है.

एमके स्टालिन ने समय-समय पर सनातन धर्म का अपमान किया है, और जिस तरह से वे अपने पिता करुणानिधि के आदर्शों पर चलते आए हैं, जो खुद हिन्दू विरोधी थे, उससे साफ होता है कि बार-बार हिंदुओं के खिलाफ स्टालिन सरकार जिस तरह से हिटलर की तरह आदेश सुना दे रही है वो तमिलनाडु के हिंदुओं के लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है

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