26 जुलाई 1999 कारगिल विजय दिवस . इसी दिन भारत के सैनिकों ने अपने साहस और वीरता का परिचय देते हुए पाकिस्तानी सैनिकों पर जीत हासिल की और कारगिल की पहाड़ियों पर शान से हमारा तिरंगा लहराया था, तभी से हर साल इस दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. आज पूरे देश में कारगिल की ऊंचाई पर बलिदान हुए 527 सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है . इसी दिन भारतीय सेना के जांबाज सैनिकों ने दुर्गम पहाड़ियों पर चढ़ाई करते हुए और कई बाधाओं से जूझते हुए जीत हासिल की थी.
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने 26 जुलाई को विजय दिवस घोषित करते हुए इसे हर साल धूम धाम से मनाए जाने की घोषणा की थी। लेकिन क्या आपको मालूम है कि यूपीए के पहले कार्यकाल में इस विजय दिवस समारोह को मनाना बंद करा दिया गया था? ये कितनी शर्म की बात है कि जहां पूरा देश हमारे शहीद सपूतों को याद कर रहा है उनकी कुर्बानी को नमन कर रहा है वहीं देश की सबसे पुरानी और देश को आजाद कराने का क्रेडिट लेने वाली वाली पार्टी का दंभ भरने वाली कांग्रेस के लिए कारगिल दिवस का कोई मतलब ही नहीं है. ये खुद कांग्रेस के बड़े ही वरिष्ठ नेता ने कहा था.
UPA government did not officially celebrate #KargilVijayDiwas from 2004-2009
Congress MP Rashid Alvi was quoted as saying that he saw no reason to celebrate the Kargil victory (pics1&2)
UPA might have continued not celebrating it but @Rajeev_GoI ji got that changed (pics 3&4) pic.twitter.com/KenRuyjgW1
— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) July 26, 2022
कारगिल युद्ध पर वरिष्ठ पत्रकार कंचन गुप्ता ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि कैसे तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस युद्ध के समय कितनी अड़चन डालने की कोशिश की थी। जब युद्ध अपने चरम पर था तभी विपक्ष में बैठी कांग्रेस पार्टी ने तत्कालीन केंद्र सरकार से राज्य सभा के विशेष सत्र की मांग करने लगी। यह कहां तक जायज था कि सरकार का ध्यान युद्ध से हटाकर राजनीति की तरफ करने की कोशिश की जाए? लेकिन सोनिया मैडम के आसपास भटकने वाले महानुभावों को उनकी जी हुजुरी से फुर्सत मिले तब तो वो ये बता पाते कि युद्ध के समय किसी भी सदन का विशेष सत्र बुलाने का मतलब हार होता है . लेकिन कई रिपोर्टों से पता चलता है कि जब ऑल पार्टी मीटिंग के लिए सरकार ने सभी पार्टियों को बुलाया तब वे मौजूद नहीं थी. अब इसी से अंदाजा लगाजा जा सकता है कि इतने अहम मुद्दे पर चर्चा के लिए मीटिंग बुलाई गई थी लेकिन सोनिया जी मौजूद नहीं थीं. ये बताने के लिए काफी थी कि उन्हें देश की कितनी चिंता है !
ये तो कुछ भी नहीं था इसके बाद जब कांग्रेस सोनिया गांधी के नेतृत्व में सत्ता में आई तो कारगिल विजय का भी इतिहास लोगों के जहन से मिटाने के लिए 26 जुलाई को मनाए जाने वाले उत्सव को ही बंद करा दिया था। यूपीए-1 के सत्ता में आते ही कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर ने राज्यसभा में बाकायदा बयान दिया था कि यूपीए सरकार ने वर्ष 2004 से लेकर 2009 तक आधिकारिक रूप से कारगिल विजय दिवस नहीं मनाने का फैसला किया है। कांग्रेस सांसद राशिद अल्वी के हवाले से कहा गया था कि उन्हें कारगिल जीत का जश्न मनाने का कोई कारण नहीं दिखता । उन्होंने कहा था ‘कारगिल की जीत को युद्ध में मिली विजय के रूप में नहीं देखा जा सकता। यह अलग बात है कि एनडीए इसका उत्सव मना सकता है क्योंकि यह युद्ध उस समय हुआ था जब उसकी सरकार थी।’ इसके बाद बीजेपी के तत्कालीन राज्यसभा सांसद राजीव चन्द्रशेखर ने राज्य सभा के अध्यक्ष को पत्र लिख कर इसे दोबारा मनाने के लिए रक्षा मंत्रालय से आग्रह किया और बाद में यूपीए सरकार को शर्मसार होकर कारगिल विजय दिवस मनाने को मजबूर होना पड़ा।
Did u know 2004-2009 Cong led UPA did not celebrate or honor #KargilVijayDiwas on July26 till I insistd in #Parliament #ServingOurNation pic.twitter.com/kDEg4OY1An
— Rajeev Chandrasekhar 🇮🇳 (@Rajeev_GoI) July 25, 2017
सोनिया गांधी के नेतृत्व के दौरान कांग्रेस पार्टी ने देश के मान और सेना के सम्मान के साथ कई बार समझौता किया है। कारगिल युद्ध को देश का युद्ध ना मानना, सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाना और सेना से सबूत मांगना , ये दिखाता है कि कैसे कांग्रेस ने सेना का अपमान किया है।
यहां तक कि कांग्रेस ने अटल बिहारी वाजपेयी जी के ऊपर भी सेना का राजनीतिक इस्तेमाल करने का आरोप मढ़ा था। तब अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था, ‘कोई आचार संहिता हमें अपने सैनिकों को कारगिल में उनकी विजय पर खुशी प्रकट करने और उन्हें बधाई देने से रोक नहीं सकती।’ कारगिल युद्ध में जीत देश की सेना की शौर्य गाथा और देश के उन जवानों के बलिदान का प्रतीक है जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए अपनी प्राणों तक कि आहूति दे दी .
केवल अपने राजनीतिक हित के लिए कारगिल विजय दिवस का इस तरह से अपमान करना किसी को भी शोभा नहीं देता. दरअसल कांग्रेस पार्टी आज तक बीजेपी के शासन में पाकिस्तान पर भारत की इस बड़ी जीत को पचा ही नहीं पायी है !
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