कल्पना कीजिये, अगर आज बाला साहेब होते। हिन्दू हृदय सम्राट बाला साहेब। बाबरी विध्वंस को लिए गर्व से शिव सैनिकों को सम्मान देने वाले बाला साहेब, इस्लामिक जिहाद के खिलाफ खुलकर बोलने वाले बाला साहेब … अगर आज होते तो !
हिन्दू हितों के लिए बाला साहेब ठाकरे के बेबाक पन गवाह हैं कि पालघर में साधुओं की हत्या पर पूरा महाराष्ट हिल गया होता। हत्यारें खुद आत्मसमर्पण कर चुके होते क्योंकि सड़को पर शिव सैनिक उन्हें ढूंढ रहे होते। बाला साहेब होते तो सुशांत सिंह राजपूत के माता पिता को खुद मातोश्री बुलाकर कह देते – कातिल सात समंदर पार भी हो तो घसीट कर लाया जाएगा। बाला साहेब होते तो कंगना के खिलाफ बोलने लिखने वाले मुम्बई से बोरिया बिस्तर उठाकर भाग गए होते।
बाला साहेब होते तो जूते संजय राउत के पोस्टर पर पड़ रहे होते।
ये बाल ठाकरे की पार्टी है। उनके ख़ून-पसीने से सींची हुई पार्टी है, जिसके लिए उन्होंने कई मानक तैयार किए थे। ठाकरे जो कॉन्ग्रेस के सबसे बड़े विरोधियों में से एक रहे। भाजपा के साथ आने के बाद तो उन्होंने कॉन्ग्रेस पर इतने हमले किए कि कॉन्ग्रेस नेता उनका नाम भी सुनना पसंद नहीं करते थे। बाला साहब ने दशहरा की एक रैली के दौरान कहा था कि सोनिया के चरणों में तो हिजड़े झुकते हैं। उन्होंने कॉन्ग्रेस की सरकार को ‘हिजड़ों का शासन’ बताया था। आज कौन किसके चरणों में झुक कर शासन चलाने जा रहा है, ये बताने की ज़रूरत नहीं है। बाला साहब की परिभाषा वही है, बस किरदार बदल गए हैं। उनका बेटा शासन चलाने जा रहा है और वो भी ‘हिजड़ों का शासन’ चलाने वाली पार्टी के समर्थन से।
राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी को लेकर बाला साहब ठाकरे ने पूछा था कि क्या प्रधानमंत्री पद भिंडी बाजार में रखी गई कोई कुर्सी है? आज फिर से भिंडी बाजार लगा है, बस कुर्सी बदल है। कॉन्ग्रेस और बाला साहब का बयान वही है, बस प्रधानमंत्री पद की जगह इस बार मुख्यमंत्री पद ने ले ली है। ठाकरे सोनिया को ‘इटालियन पार्टी’ कहते थे। ठाकरे का कहना था कि कॉन्ग्रेस द्वारा ‘इटालियन औरत’ को आगे लाना शर्मनाक है। बाल ठाकरे कहते थे कि कॉन्ग्रेस अब ‘इटालियन कॉन्ग्रेस’ बन गई है।
बाल ठाकरे ने कॉन्ग्रेस को ‘2500 सिखों के क़त्ल का जिम्मेदार’ बताया था।
जब बात मुख्यमंत्री पद की हो रही है तो उस सम्बन्ध में भी बाल ठाकरे का बयान याद किया ही जाएगा। बाल ठाकरे मानते थे कि कॉन्ग्रेस के जितने भी मुख्यमंत्री हैं, वो सभी सोनिया गाँधी के ‘कुरियर सर्विस’ हैं। कॉन्ग्रेस के बाहर से समर्थन से सीएम बनने वाले के लिए उनका बयान क्या होता, ये तो उनकी अनुपस्थिति में सिर्फ़ अनुमान ही लगाया जा सकता है। बाल ठाकरे ने कॉन्ग्रेस के मुख्यमंत्रियों की तुलना ‘काकभगोड़ों’ से की थी। आपने भी पढ़ा होगा- “काकभगोड़ा-काकभगोड़ा, जितना लम्बा-उतना चौड़ा“। ये मानव आकर का अस्थायी ढाँचा भर होते हैं, कौवें खेतों में नहीं आते। वो इन्हें असली का आदमी समझ लेते हैं। आज काकभगोड़ा कौन है, यह तो बालासाहब ही बता पाते।
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