दुनिया भर में अपनी आधुनिकता , इंसानियत ,मसीहीपन का क्रास लेकर संसार भर के लोगों को ईसाइयत में बदल देने को आतुर लोगों के प्रति आज दुनिया के एक कोने में बहुत ज्यादा गुस्सा और नफरत है। लोगबाग इन्हें आईना दिखा कर , बुरी तरह सेलताड़ रहे हैं।

असल में फ्रांस के कैथोलिक चर्च के अंदर सत्तर सालों में लगभग 3 लाख तीस हज़ार बच्चों का यौन शोषण -वो भी करने वाले आरोपियों में से दो तिहाई से अधिक खुद चर्च और मिशनरीज़ के फादर /पादरी ही हैं – किए जाने का सदियों तक पूरे देश सभ्यता लोगों समाज सब पर एक कलंक की तरह सामने आया है।

मामला देश भर के चर्च से जुड़े होने के कारण एक उच्च स्तरीय समिति को सौंपा गया जो चर्च और मिशनरीज प्रशासन के प्रभाव से स्वतन्त्र रूप से अपने स्तर पर एक विस्तृत जाँच करता रहा। इस आयोग ने जब देश के सामने ये घिनौना सच रखा तो सबके मन में चर्च में किए गए ऐसे कृत्य के प्रति भारी रोष निकल आया

वर्ष 1950 से लेकर वर्ष 2020 के समय के आकलन में ही पूरे देश भर के चर्च में बच्चों के साथ इतने भीषण और व्यापक आपराधिक मामले वो भी चर्च जैसे स्थान पर जहां अमूमन तौर पर अपराधी भी ग्लानिबोध से ही जाते हों , वहां पर दिन रात ईसा मसीह का नाम लेने वाले यदि इतने समय तक इतना बड़ा अपराध करते हैं तो फिर जाहिर है कि हवस की वही सनक जो मुग़ल सम्प्रदाय में दिखती है असल में तो ईसाईयत भी इससे अछूती नहीं है।

और जैसा कि एक संगठित माफिया में होता भी है कि , अपराध का पता लगने पर और ये लगने पर कि अपराधी अपना ही कोई है तो फिर अपराध और अपराधी को ही मान्यता देने का नियम लागू किया जाता है ऐसे ही चर्च और मिश्नरीज़ प्रशासन ने जब जब भी ऐसी घटनाओं और अपराधों का पता चला या किसी ने आवाज़ उठाई उन्होंने उसे साजिशन दबा दिया और सभी पादरी आरोपियों के विरूद्ध आँख मूँद ली।

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