अभी कोरोना वायरस से पूरी तरह पीछा छूटा भी नहीं है कि एक और वायरस ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है जिसका नाम है लंपी वायरस. कोरोना वायरस की तबाही और हाहाकार को लेकर जहां मीडिया ने जमकर शोर मचाया था वहीं लंबी वायरस को लेकर ना तो राजस्थान की कांग्रेस सरकार और ना ही मीडिया किसी तरह का शोर मचा रही है. क्योंकि लंपी वायरस से इंसानों की नहीं बल्कि बेजुबान गायों की मौत हो रही है इसलिए किसी को क्या ही फर्क पड़ेगा.
दरअसल हम राजस्थान का जिक्र इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि लंपी वायरस ने सबसे ज्यादा तबाही कांग्रेस शासित राजस्थान में मचा रखी है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि जिस राजस्थान में लम्पी वायरस का प्रकोप सबसे अधिक है, वहां के मुख्यमंत्री भी इस इस ओर से संवेदनहीन नजर आ रहे हैं, इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश में गौशाला को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को घेरने वाली प्रियंका गांधी भी लम्पी वायरस को लेकर समाधान को लेकर आतुर नहीं दिख रही हैं।
इस बीच गायों की मौत को लेकर राजस्थान बीजेपी की ईकाई ने राजस्थान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए जयपुर में मंगलवार (20 सितंबर) को लंपी वायरस की वजह से हुई गायों की मौत को लेकर विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया है.
#गाय_बचाओ_गहलोत_सरकार
Huge protest against the anti-people Congress government that failed to protect the cow!
And did nothing.
Come and join us. pic.twitter.com/qef7t7Obk2— Jagsi Ram Koli MLA (@jagsiramjikoli) September 20, 2022
गौमाता करती रह गई पुकार…
कहाँ गई गहलोत सरकार?#गाय_बचाओ_गहलोत_सरकार pic.twitter.com/8Rzx21i30K— BJP Rajasthan (@BJP4Rajasthan) September 20, 2022
दरअसल राजस्थान सरकार पर इतनी बड़ी आपदा को नजरअंदाज करने को लेकर सवाल उठना लाजिमी है. जिस वक्त सूबे के मुख्यमंत्री के राज्य में इस विपदा से निपटने की तैयारी करनी चाहिए थी उस वक्त सीएम अशोक गहलोत राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हुए हैं. भले ही राज्य में हजारो-हजार गायें दम तोड़ती रहे. इन्हें कोई मतलब नहीं क्योंकि इन्हें अपनी राजनीति की तबीयत जो ठीक रखनी है. सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा राजस्थान सरकार के इस रवैये को लेकर साफ देखा जा सकता है.
In Rajasthan, cows death will be called "death" or "murder" because the Chief Minister is doing "Bharat Jodo Yatra" instead of fighting the virus.. Save these helpless animals first. #गाय_बचाओ_गहलोत_सरकार
— Yashwant Mandawara (@yashmandawara) September 20, 2022
The government needs to take some serious concern on this Lumpy disease on cows!#गाय_बचाओ_गहलोत_सरकार
SAVE COWSpic.twitter.com/sM7XoroSOZ— Shreya✨ (@This_is_sherya) September 20, 2022
केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय ने 31 अगस्त को ही जारी गाइडलाइन में बताया था कि 5 रुपये की नीली दवा से लंपी वायरस से लड़ा जा सकता है बावजूद इसके किसी भी राज्य ने इसका इस्तेमाल नहीं किया. भास्कर के मुताबिक राजस्थान में अब तक 8 लाख से अधिक पशु संक्रमित हो चुके हैं और 38 हजार से अधिक की मृत्यु हो चुकी है और अब इसका असर दूध उत्पादन पर पड़ने लगा है।
चलिए ये मान लेते हैं कि कांग्रेस को गायों का कोई सियासी फायद नहीं मिलेगा इसीलिए सरकार हाथ पर हाथ रख कर बैठी है लेकिन पशुओं के लिए कथित रूप से काम करने वाली संस्था पेटा क्यों मौन है? PETA का इस पर कोई भी अभियान न चलाना अपने आप में बहुत बड़ी हैरानी की बात है क्योंकि पेटा ही है जो रक्षाबंधन पर गाय का प्रेम दिखाते हुए यह विज्ञापन चलाती है कि राखी कैसी बांधनी चाहिए। यह वही पेटा है जो डेयरी उद्योग में कथित शोषण के लिए बार बार पौधों से निकलने वाले पेय को दूध के विकल्प के रूप में इस्तेमाल करने का अभियान चलाती है और उसका यह कहना है कि भारतीय डेयरी उद्योग में गायों का शोषण होता है, इसलिए उनका दूध नहीं लेना चाहिए। फिर इतनी बड़ी महामारी में, PETA अपने मुंह पर पट्टी लगाकर क्यों बैठी है?
फिलहाल गौ माता कराह रही है और सियासी पार्टियों से लेकर तमाम संस्थाओं को इन बेजुबान पशुओं के लिए आवाज उठानी चाहिए न कि नफा-नुकसान देखना चाहिए.
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