अलाउद्दीन खिलजी जैसा आक्रांता ,जब देश पर हमला करके भारत के अंदर घुस आया था तो उसने देश की धन सम्पदा को लूटने से अधिक ज्यादा क्रूरता हिन्दुस्तान की सनातन संस्कृति को ख़त्म करने ,उसे नष्ट करने में दिखाई थी। जिन जिन मंदिरों को उसने लूट कर उनका अथाह सोना चाँदी छीन लिया उन मंदिरों ,मूर्तियों और यहां तक कि उनके स्तंभों , की गई नक्काशियों की सुंदरता से चिढ कर सबको तोड़ने फोड़ने का घृणित अपराध भी किया था।

लेकिन अब अचानक से ऐसा लगने लगा है कि खिलजी की मुग़ल औलादें एक हज़ार साल के बाद भी अपनी घिनौनी सोच से आगे नहीं बढ़ पाए हैं और आज भी उसी जहालत से वही कुकर्म करने में लगे हैं। देश भर के मुग़ल बाहुल्य राज्यों में हिन्दू ,सनातन के विरूद्ध अनेक तरह के षड्यंत्रों और प्रपंचों में लगे हुए ये मुग़ल अब अपना सारा गुस्सा और खीज ,मंदिरों और मूर्तियों को नष्ट करके निकाल रहे हैं।

हाल ही में कर्नाटक के दूदागद्दाहवली ,हसन में लगभग एक हज़ार वर्ष पुराने चतुष्कूट मंदिर में स्थापित माँ दक्षिण काली की प्रतिमाओं को अज्ञात व्यक्तियों द्वारा तोड़ दिया गया।

भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित इस मंदिर और मूर्तियों को विश्व धरोहर के रूप में देखा और माना जाता रहा है। ये देखना और समझना बहुत ही दुखदायी है कि , प्रति वर्ष हज़ारों करोड़ रुपए इनकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए व्यय किये जाने के बावजूद भी ऐसे दुर्लभ मंदिर परिसरों में कोई भी घुस कर देवी देवताओं की इतनी पुरानी और हमारे पुरखों की धरोहर को नष्ट करके आसानी से बच निकलता है।

पश्चिम बंगाल , केरल , दिल्ली और अब कर्नाटक में मंदिरों और मूर्तियों पर हमला करके उन्हें नष्ट करने , उन्हें तोड़ने फोड़ने के अपराध की घटनाओं में लगातार हो रही वृद्धि बहुत ही खतरनाक प्रवृत्ति और रचे जा रहे षड्यंत्र की ओर इशारा कर रही है।

याद रहे हिन्दुओं और सनातन समाज ,यदि धर्म की रक्षार्थ सब एक जुट होकर एकसाथ नहीं आए तो आने वाली अगली सारी पीढ़ीयां हमें कभी माफ़ नहीं करेंगी।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.