जोहार,झारखंड में हेमंत सोरेन के भागीदार बनने के बाद भ्रष्टाचार चरम पर है, जहां पहली बार भारत में किसी राज्य के सदस्य को एड ने अपने कार्यालय में बुलाया है, वह हेमंत सोरेन जी और उनके झारखंड पार्टी मुक्ति मोर्चा के लोगों ने झारखंड को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ा। हर चीज का यहां मूल्यांकन होता है, हर अधिकारी को महीने की आखिरी तारीख को एक खास रकम पार्टी के दाखिले तक पहुचानी होती है जो कि आर पूजा सिंघल है जो अभी जेल में है और प्रेम प्रकाश जैसे बिचौलियों के माध्यम से हेमंत सोरेन के लिए उपलब्ध है आता है।

इस मामले में जहां लोकल अखबारों ने छपा है की धनबाद जो भारत की कोयला राजधानी कहा जाता है  वहां पर हर दिन झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार के संरक्षण में 10 से ₹15 करोड़ का कोयला चोरी का बाहर जाता है जिस पर ना तो चालान होता है ,ना ही उसे पुलिस रोकती है, और इसका सीधा कमीशन सीधे मुख्यमंत्री के पास आता है, साथ ही साथ संथाल परगना के जिले दुमका, पाकुड़, जामताड़ा जैसे जगह पर पत्थर के माइनिंग कारोबार में सारा का सारा कब्जा हेमंत सोरेन परिवार का है,जहां हेमंत सोरेन जिनके नाम पर कई पथल के लीज हैं वही बिना लीज के भी कई सरकारी जमीनों से फॉरेस्ट लैंड से पत्थरों को निकाला जाता है और जिसे पानी जहाज के माध्यम से बांग्लादेश तक भेजा जाता है। इस कारोबार में इनका सबसे बड़ा साथी पंकज मिश्रा है जिसे अभी हाल ही में ईडी ने उठाया था और उससे कड़ी पूछताछ की जा रही है और वह जेल में बंद यह लगभग 1100 करोड का भ्रष्टाचार का मामला है जिसमें पत्थर के कारोबार से जुड़े हुए कई और लोगों को भी पकड़े जाने की संभावना है।

मामला सिर्फ पत्थर कारोबार और कोयला कारोबार से नहीं है बालू में झारखंड में हालत ऐसी कभी खराब नहीं हुई थी, पहले जहां बालू घाटों की नीलामी होती थी और ग्रामीणों को अपने नदियों से सस्ते दामों पर बालू मिल जाता था। वहां इस सरकार में बालू घाटों की नीलामी बंद कर दी है और अब उससे माइनिंग कॉरपोरेशन के माध्यम से बेचने का निर्णय किया है ,लेकिन अभी तक किसी भी घाट की नीलामी नही हो पाई ना ही बेचने का तरीका सेट हो पाया बल्कि उल्टे सरकार ने इन सारे कामों को रोक करके झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं के हाथों ब्लैक में बालू बिकवाना चालू किया ,जबकि हर दिन से सरकार को कम से कम 15 से 20 करोड़ का राजस्व का नुकसान होता है ,परंतु उल्टे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं को हर माह लगभग 70 से ₹80 करोड़ का मुनाफा हो रहा है।

पूरे संथाल परगना में गोवंश का व्यापार फिर से चालू हो गया है जहां पर अब सीधे गाय से लदे हुए ट्रकों को बिना रोके पुलिस छोड़ दे रही है और वह संथाल होते हुए को गौकुसी के लिए बांग्लादेश चले जा रहे हैं।

राज्य में आदिवासी होने का ढोंग भरते हुए जिम्मेदार हेमंत सोरेन ने सबसे ज्यादा लूटने का काम आदिवासियों को ही किया अब यह दृश्य बड़ा दिलचस्प है कि आदिवासी कब मामलों में अपनी आंख जाम कर रहे हैं और इस निर्दई सरकार को हटाने का काम करते हैं। जोहार, जय झारखंड

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.