हाथरस मसले पर जिस तरह से नक्सल जिहादी गैंग ने सक्रिय होकर दोनों पक्षों की जाति बताकर हिंदू समाज में फूट डालने का काम किया है, वो घिनौना है। यह लोग कितने देश विरोधी, कितने हिंदुत्व से नफरत करने वाले, कितने ज़हरीले, कितने विषाक्त हैं इसका अंदाज़ा इसी बात से हो सकता है कि हाथरस में दोनों पक्षों की जाति ढोल बजाकर बताई गई तो वहीं दूसरी तरफ बलरामपुर में जिन युवकों ने दलित लड़की का रेप और हत्या की उसका मजहब किसी को नहीं बताया गया। 

हाथरस में जाति बताने वालों हिंदू-हिंदी-हिंदुस्तान विरोधी गैंग से देश पूछता है कि आखिर बलरामपुर वालों का मजहब क्यों नहीं बताया गया। बलरामपुर घटना पर ‘आरोपी’ शब्द लिखकर बड़े अंग्रेजी अखबार और चैनल अपनी दोहरी मानसिकता का परिचय दे रहे हैं। गौरतलब है कि बलरामपुर के दोनों आरोपी मुस्लिम हैं जिन्होंने दलित लड़की का रेप कर हत्या कर दी, मगर गिद्ध मीडिया में इस खबर की कोई भनक तक नहीं है। जब सोशल मीडिया पर जागरूक जनता के द्वारा हल्ला किया गया तब जाकर इन चैनल वालों ने कहीं कहीं इस मुद्दे को उठाया। 


देश की जनता को समझना चाहिए कि ये षड्यंत्र कितना गहरा है, जहां हिन्दू पक्ष की जाति बता दी जाती है ताकि हिंदू समाज में फूट पड़ सके। जाति बताई जाती है ताकि सनातन की सशक्तता कमजोर हो सके, ताकि भगवा का अभ्योदय फीका पड़ सके, ताकि एकत्व के भाव में एकजुट होती संस्कृति अलग हो सके, ताकि राम-कृष्ण-महादेव की भूमि में अब्राहमिक मजहब अपना वजूद फैला सकें, ताकि फिर से पिछले 70 सालों की तरह देश में मिली जुली सरकारें बन सकें और देश में खिचड़ी मजहब का रायता फैलाकर सनातन धर्म को कमजोर किया जा सके।

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