– व्यालोक

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी बिहार को भरपूर प्रेम करते हैं, यह कोई कहने मात्र की बात नहीं। बिहार उनके दिल और दिमाग में रहता है और इसका भरपूर प्रदर्शन करने का भी कोई मौका वह छोड़ते नहीं हैं। इस मामले में वह अपने राजनैतिक गुरु पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी के सच्चे वारिस हैं। मोदी ने कोसी नदी पर रेलवे पुल बनवाकर 8 दशकों से लंबित सपने को पूरा कर मिथिलावासियों की मुराद पूरी की।


मोदी को लिट्टी पसंद है, मैथिली-मगही-भोजपुरी में वह संवाद करते हैं और मखाना-मैथिली पाग भी उनको भाते हैं। वह बिहार को देश के औद्योगिक नक्शे पर देखना चाहते हैं, इसलिए बिहार के लिए विशेष चिंता और आर्थिक सोच उनके चिंतन का हिस्सा है।
पीएम जानते हैं कि बिहार में मुख्यतः कृषि और मत्स्य संसाधन से जुड़ी योजनाओं को बढ़ावा देने की जरूरत है, फूड प्रोसेसिंग की बड़ी संभावनाएं हैं। इसीलिए, 10 सितंबर को मत्स्य, पशुपालन व कृषि विभाग से जुड़ी 294.53 करोड़ की विभिन्न योजनाओं का प्रधानमंत्री उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे।
वह प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत 107 करोड़ की लागत की परियोजना के शुरुआत की घोषणा करेंगे। इसमें 5 करोड़ की लागत से सीतामढ़ी के डुमरा में बखरी मछली बीज फार्म, 10 करोड़ की लागत से रोग निदान और गुणवत्ता परीक्षण हेतु किशनगंज के मत्स्य पालन कॉलेज और पटना के मसौढ़ी में 2 करोड़ की लागत से फिश ऑन व्हील्स की शुरुआत होगी। इसके अलावा वह 2.87 करोड़ की लागत से कृषि विश्वविद्यालय, पूसा में समेकित मात्स्यिकी उत्पादन प्रौद्योगिकी केंद्र का उद्घाटन भी इसी दिन करेंगे।
इससे पहले सरकार ने मिथिला की पहचान मखाना को वैश्विक ब्रांड बनाने एवं इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए दस हजार करोड़ का आर्थिक पैकेज भी दिया था। दरभंगा में 750 बेड वाले एम्स का निर्माण हो या एयरपोर्ट, हरेक जगह पीएम मोदी ने बिहार के किसानों, व्यापारियों से लेकर आम जनता तक का ख्याल रखा है।
सड़कों में सुधार से लेकर, हर घर में बिजली के तार तक, उज्ज्वला योजना की गैस से लेकर इस कोरोना महामारी में गरीबों को अनाज तक, बिहार का कोई भी ऐसा तार नहीं रहा है, जो पीएम की नज़रों से अछूता रहा है। कृषि के साथ ही बिहार पशुपालन और मछली-उत्पादन का हब बने, इसीलिए 10 सितंबर को ही पीएम श्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत 84.27 करोड़ की लागत से पूर्णिया सीमेन स्टेशन, 8.06 करोड़ की लागत से बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना में इम्ब्रयो ट्रांसफर टेक्नोलॉजी (ईटीटी) एवं आईवीएफ लैब और 2.13 करोड़ की लागत से बेगूसराय, खगड़िया, समस्तीपुर, नालंदा व गया में तैयार सेक्स सॉर्टेड सीमेन परियोजना की शुरुआत करेंगे।
बिहार में कृषि को नयी रफ्तार औऱ नयी ऊर्जा मिले, इसके लिए प्रदेश की एनडीए सरकार प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सारे प्रयास कर रही हैं। कल 10 सितंबर को ही पीएम इस क्षेत्र की प्रगति के लिए भी कई योजनाओं की सौगात बिहार को देनेवाले हैं। वह डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर में कुल 74 करोड़ की विभिन्न योजनाओं के उद्घाटन व शिलान्यास कार्यक्रम के तहत 11 करोड़ की लागत से निर्मित स्कूल ऑफ एग्रीबिजिनेस एंड रूरल मैनेजमेंट के भवन के उद्घाटन व ब्वायज हॉस्टल (27 करोड़), स्टेडियम (25 करोड़), और इंटरनेशनल गेस्ट हाउस (11 करोड़) का शिलान्यास करेंगे।
प्रधानमंत्री के अब तक के कार्यकाल का अध्ययन करें तो यह साफ है कि वह बिहार के प्रति विशेष प्रेम और लगाव रखते हैं। वह अपने भाषणों में कई बार कह चुके हैं कि पूर्वी भारत के विकास के बिना संपूर्ण देश के विकास का सपना अधूरा रहेगा। बिहार के विकास के लिए उनकी चिंता और योजना हम सभी जानते हैं।
यह स्वप्न, यह वादे कोई चुनावी मात्र नहीं हैं। यदि हम इतिहास को थोड़ा देखें तो बीच का एक दौर ऐसा भी था जब बिहार में सत्ता से भाजपा बाहर थी, पर पीएम का विज़न, उनकी बिहार के लिए चिंता तनिक भी कम नहीं हुआ था। वह बिहार के लिए कल भी उतने ही चिंतनशील और प्रयासरत थे, आज भी हैं और कल भी रहेंगे।


लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं.

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.