उत्तराखंड में जिस तरीके से पहाड़ जंगल और गंगा के अस्तित्व को लेकर सभ्यता संघर्ष चल रहा है यह अपने आप में दर्शाता है कि खास समुदाय व खास विचारधारा के लोग जिस भी जगह जिस जमीन पर पैदा होने शुरू हो जाए वह सामने वाली सभ्यता के समक्ष अस्तित्व संकट की गंभीर चुनौतियां पैदा कर देते हैं ।
उत्तराखंड में पहाड़ों पर लगातार बनी हुई मजार और जमीनों पर बनती हुई लगातार मस्जिद इस बात की तस्दीक कर रही है कि पिछले 25 साल से किस तरह से उत्तराखंड में जनसंख्या का असंतुलन पैदा किया जा रहा है। उत्तराखंड हिंदुओं की देवभमि है, जहां दूसरे समुदाय की आबादी 12 फीसदी से भी ज्यादा हो गई है जोकि गंगा की पवित्रता, पहाड़ की गम्भीरता, जंगल की विशालता को भंग कर रही है ।
आखिर क्यों बीते 25 सालों से हिंदुओं के वोट पाकर चुनी जाने वाली सरकारें सोई रही ? आखिर वह लोग तब कहां थे जब पश्चिमी उत्तर प्रदेश से खास समुदाय की आबादी पलायन कर सोची-समझी रणनीति के तहत देवभूमि के पहाड़ों में अपने अवैध बसेरे बना रही थी।
मजार बनी, मस्जिद बनी और अब वहां लव जिहाD के केस भी सामने आ रहे हैं।और यह तो वह केस है जो सामने आ गए उनका क्या जो अब तक सामने नहीं आ पाए हैं। जरूरत है कि लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई सरकार वह कड़क कदम उठाए ताकि भविष्य के गर्भ में छुपी तमाम उन चुनौतियों और संकटों से पार पाया जा सके जो 2047 के गजवा ए हिन्द की आहट दे रही हैं।
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