जिस तरह से गोरखपुर में भागवत निषाद ने दिलशाद की गोली मारकर हत्या की है यह अपने आप में बहस और चर्चा का सम्यक विषय है। आखिर क्यों एक बाप को इतना मजबूर होना पड़ा? आखिर क्यों दिलशाद जैसे शोहदों की इतनी हिम्मत हो जाती है कि वह हिंदू लड़की को अगवा कर लेते हैं? दरअसल नाबालिग के साथ रेप के आरोप में पॉक्सो के तहत जेल में बंद रहने के बाद दिलशाद जब जमानत पर बाहर आया था, तब वह लड़की के पिता को परेशान करने लगा। वह मुकदमे को वापस लेने के लिए उन पर दबाव बनाता था। इतना ही नहीं, दिलशाद उनकी बेटी और खुद के निकाह की तस्वीरों के साथ-साथ अन्य तस्वीरें भी भेजता था। शर्मिंदगी के कारण उनका परिवार बाहर नहीं निकलता था। पिता और उनका परिवार परेशान रहने लगा और परिवार सहित आत्महत्या करने की सोचने लगा। हालाँकि, बाद में उन्होंने इरादा बदल दिया।

गोली मारने वाले रेप पीड़िता के पिता भागवत निषाद (Bhagwat Nishad) के समर्थन में लोगों का कहना है कि जब एक लड़की का बाप इस तरह परेशान होगा तो और क्या करेगा? उन्होंने जो किया वो सही किया। कुछ लोगों ने न्याय-व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि पिता ने सोचा होगा कि उसे क्या सजा होगी, तो उसने खुद ही सजा दे डाली।

भारतीय समाज में आए दिन लव जिहाद की घटनाएं सामने आती है ऐसे में यदि दिलशाद जैसे शोहदे नहीं रुके तो इस देश में हजारों भागवत निषाद पैदा होंगे जो न्याय की लड़ाई अपने आप लड़ेंगे।

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