पश्चिमी देशों में बीते कुछ दिनों से लगातार हिंसा चल रही है। पूरा पश्चिमी जगत ही नहीं पूरी दुनिया वो तस्वीरें देख रही है जो भारत बीते कई दशकों से झेलता आया है। पाकिस्तान प्रायोजित कश्मीर में चल रहे आतंकवाद पर जब जब भारत आवाज उठाता था तब तब पश्चिमी देश इसे कश्मीरियत का मुद्दा कहकर खारिज कर दिया करते थे मगर अब इस्लामिक आतंकवाद व हिंसा का चरमपंथी युग खुद फ्रांस स्वीडन देख रहे हैं और भुगत भी रहे हैं।

कश्मीर में ‘ला इलाहा इल्लाह’ के नाम पर लाखों कश्मीरी पंडितों का कत्ल कर दिया गया भारत ने तब चीख चीख कर कहा हिंदुओं ने रो रोकर कहा कि यह इस्लामिक आतंकवाद का सबसे वीभत्स रूप है मगर इसे केवल कश्मीरियत का निजी मसला कहकर पश्चिम के द्वारा लगातार दरकिनार कर दिया गया और अब जो खुद पश्चिमी देश झेल रहे हैं इससे उनकी आंखों का वह पर्दा जरूर हट रहा होगा।

जो भारत ने भुगता उसके मद्देनजर भारत ने आगाह भी किया, हिंदुओं के नरसंहार पर दर्द भी सुनाया मगर पश्चिम ने अपने कान में ‘समानता, बंधुत्व’ की रुई घुसा ली और हिंदुओं के नरसंहार पर अपने ह्यूमन राइट्स समूहों को सुला दिया। अब जब फ्रांस जल रहा है, स्वीडन जल रहा है, बेल्जियम जल रहा है, इटली जल रहा है, स्पेन जल रहा है..तब शायद इनकी नींद खुली हो..

सताए हुए, जख्म सह चुके, अपनों का कत्ल देख चुके, अपने मंदिरों-सभ्यता-संस्कृति को नष्ट होते देख चुके हम #हिंदुओं ने लड़ना और जूझना सीख लिया है। पश्चिम को चाहिए कि सभ्यता संघर्ष के इस दौर में उसे आतताइयों से उन्हीं के अंदाज में निपटना होगा, वरना मध्यकालीन इतिहास के उन क्रूर थपेड़ों को उन्हें अपने लोकतांत्रिक गालों पर सहना होगा जोकि भारत के हिंदुओं ने बरसों तक सहे हैं।

धन्यवाद

समस्त हिंदू समाज

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