जब भी आपके सामने ऐसी स्थिति आए जहां किसी लड़की को उसके तथाकथित बॉयफ्रेंड द्वारा सार्वजनिक रूप से परेशान किया जा रहा है या पीटा जा रहा है और बात इतनी बढ़ जाए की लड़की की रक्षा हेतु आपको हस्तक्षेप करना पड़ ही जाए, तो ऐसे में, मार खा रही वही लड़की आपसे पूछ सकती है की:
“आप कौन होते हैं हस्तक्षेप करने वाले?”
“ये हमारा आपसी मामला है, आप होते कौन हैं बीच में पड़ने वाले ?”
आपको इस मूढ़, अपरिपक्व प्रश्न पर क्रोधित, आवेशित या आक्रामक नहीं होना चाहिए, क्योंकि सामान्य तौर पर भी, किसी को भी, किसी भी प्रश्न से उत्तेजित नहीं होना चाहिए । उत्तेजित होकर, आवेश में, आपको ऐसी बातें तो निश्चित रूप से नहीं बोलनी चाहिए:
“तुम जैसी लड़कियाँ सूटकेस में बंद हो जाती हैं।”
“तुम्हारा घर कहां है ?”
“अपने पापा का नाम बताओ।”
आपके ऐसे कथनों से लड़की आपको अपना हितैषी समझने के स्थान पर आपको शत्रुभाव से ही देखेगी और उसके बाद आप जो भी कहेंगे, वो उससे सुनने समझने को प्रस्तुत नहीं होगी ।
देखिए, पहले तो इस बात को समझिए की वो लड़की उस लड़के के साथ प्रेम या मधुर-संबंध में है, या हो सकता है उन दोनों में बात उससे आगे भी पहोंच चुकी हो और वह वास्तव में मानती है कि उसका प्रेमी उन लोगों की तरह नहीं है जो अपनी गर्लफ्रेंड को चोट पहुँचाते हैं या हत्या कर देते हैं और इसलिए अगर कभी उसके ब्वॉयफ्रेंड ने हाथ छोड़ ही दिया तो कोई बड़ी बात नहीं क्योंकि इसमें मेरी ही गलती थी, मैने ही ऐसा-वैसा कुछ किया था तो उसे गुस्सा आ गया, इसलिए वह इसकी हकदार थी ।
आम तौर पर किशोर लड़के लड़कियां, वैसे भी, गलत या सही से अनजान होते हैं और क्योंकि एक समाज के रूप में हम उन्हें इन विषयों पर प्रशिक्षित करने के लिए समय नहीं निकालते हैं, और इसलिए वे सोचते हैं कि ये चीजें भी एक रिश्ते का हिस्सा हैं, क्योंकि पुरुष तो गुस्सा करते ही हैं, और गुस्सा होने पर महिलाओं को पीटना भी आम बात है । ये भी हो सकता है की उसने अपने घर के पुरुषों को भी ऐसा ही करते देखा हो । अब चूँकि भारतीय घरों और समाज में घरेलू हिंसा, आक्रामक मर्दाना व्यवहार अभी भी बहुत आम बात है, तो अगर उसका प्रेमी भी आवेशित होकर कभी – कभार ऐसा कर ही बैठता है तो उसे इसमें कोई बहुत विशेष अंतर नज़र नहीं आता । जी हां, ज्यादातर महिलाओं या लड़कियां द्वारा आम तौर पर शारीरिक हिंसा को मानसिक रूप से स्वीकार कर लेने के पीछे यह एक प्रमुख कारणों में से एक है ।
इसलिए वो लड़की आपकी तरह उस लड़के के बर्ताव को एक चेतवानी के रूप में देखने के बजाय, इसी बात से संतुष्ट रहती है की कम से कम उसका एक ब्वॉयफ्रेंड तो है जो उसे चाहता है, उसकी प्रशंसा करता है, उसपर मुग्ध है, उसके लिए फूल, चॉकलेट, ग्रीटिंग कार्ड लाता है, उसे अपनी शानदार बाइक पर घुमाता है, उसे रेस्तरां में ले जाता है और उसकी देखभाल करता है । इसीलिए वह आपको एक अच्छे नागरिक के रूप में नहीं बल्कि एक परेशान करने वाले, विकृत अजनबी के रूप में ही देखेगी जो सिर्फ उसे परेशान कर रहा है ।
तो सवाल है, की, ऐसे में क्या किया जाए ताकि लड़की आपकी बात को सुने और समझे भी । तो इसके लिए, प्रारंभ, शांत रहकर करें और:
उसे बताएं, की आप उसके पड़ोसी हैं, उसके भाई हैं, किसी के पुत्र हैं, एक पिता हैं, इस देश के एक नागरिक हैं और सर्वप्रथम एक मनुष्य हैं जो उसी की तरह इस समाज का अंग है, इसी समाज में रहते हैं और थोड़ी बहुत दुनिया आपने भी देखी है, और आपने यह जाना है की यह व्यवहार निजी या सार्वजनिक जीवन में , किसी भी स्थान या परिस्थिति में स्वीकार्य या सामान्य नहीं है और आपका मानना है कि किसी भी मनुष्य के साथ ऐसा बर्ताव नहीं होना चाहिए ।
उसे बताएं कि अगर इस समाज में, बदमाशों द्वारा, दिन के उजाले में सबके सामने महिलाओं को पीटना या यहां तक कि हत्या कर देना सामान्य बात हो जाए, तो हम कटने के लिए लाइन में खड़ी भेड़-बकरियों से अलग नहीं रह जायेंगे और समाज की चुप्पी के कारण, आज जो उसके साथ हुआ है, कल वही आपके परिवार की किसी महिला के साथ भी हो सकता है ।
उसे बताएं, हम सभी सामाजिक मानदंडों से जुड़े हुए हैं और इसका कोई भी उल्लंघन हम सभी को प्रभावित करता है और यदि आप आज उसके लिए खड़े नहीं हुए, तो कल, उसके पिता, भाई भी, ऐसी किसी परिस्थिति में, आपके परिवार के किसी सदस्य के सम्मान की रक्षा के लिए हस्तक्षेप करने के लिए आगे नहीं आएंगे ।
उसे बताएं की मनुष्य दो पैरों वाले पशु नहीं हैं और सभ्य समाज में रह रहे प्रत्येक व्यक्ति के कुछ नैतिक और सामाजिक ज़िम्मेदारी और कर्तव्य हैं जो समाज, संविधान और स्वयं भगवान ने हमें दिए हैं जिसके अनुसार हमसे यह अपेक्षित है की हम अधर्म को बर्दाश्त न करें, किसी निर्दोष पर अत्याचार न करें और यदि हम किसी निहत्थे पर हिंसा देखें हैं तो बेझिझक हस्तक्षेप करें भले ही इसका मतलब हमारे लिए मृत्यु हो ।
उसे बताएं कि यदि हमारे समाज में प्रत्येक पुरुष और महिला अपने कर्तव्यों, जिम्मेदारियों, नैतिक आचार संहिता और मूल्यों की उपेक्षा करना शुरू कर दे और उसके विकृत, नीच प्रवृति वाले तथाकथित बॉयफ्रेंड की तरह गुंडों की तरह व्यवहार करे, तो समाज में कोई भी बच्चा सुरक्षित रूप से बड़ा नहीं हो पाएगा । एक बच्चे को पालने के लिए, सिर्फ एक परिवार नहीं, बल्कि एक पूरा समाज लगता है ।
उसे बताएं कि आप उनमें से हैं जो सही और गलत को जानते हैं और चाहे कुछ भी हो, आप समाज में जो गलत है उसका भरपूर विरोध करेंगे और उसे भी ऐसा ही करना चाहिए क्योंकि उसका जीवन भी सिर्फ ब्वॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड तक सीमित नहीं रहेगा, उसके भी बच्चे होंगे और उनके लिए वो भी एक सुरक्षित मर्यादित समाज ही चाहेगी जहां कोई प्रेम के नाम पर उन्हें क्षतिग्रस्त नहीं करे ।
अब:
आप उससे पूछें की वो अपने और अपने ही जैसी दूसरी लड़कियों के लिए ऐसी सोच क्यों नहीं रखती ?
उससे पूछें, क्या उसे अच्छा लगता यदि वो आपकी जगह होती और कोई उनसे पूछता की: “दखल देने वाले आप होते कौन हैं?”
उससे पूछें, क्या वो सिर्फ एक शरीर है, किसी की संपत्ति है , पशु है जिसके साथ उसका स्वामी जैसा चाहे वैसा बर्ताव कर सकता है ? अगर नहीं तो कैसे वो किसी अन्य व्यक्ति को अपने साथ कमतर व्यवहार करके, उसे सार्वजनिक रूप से अपमानित करके, उसके भीतर की देवी, दिव्य आत्मा का अनादर करने की अनुमति दे रही है ?
उससे ये भी पूछें कि उसके इस रिश्ते का लक्ष्य और उद्देश्य क्या है, क्या महज़ भौतिक आनंद या खुशी ? क्योंकि क्षणिक सुख देने वाले विषाक्त संबंध अंततः दुखदाई ही होते हैं, सुखदाई नहीं ।
अगर आप इतना कर पाते हैं, तो आप समझिए की आप सफल हुए और उसे छोड़ दीजिए इन सभी बातों और प्रश्नों के साथ उलझने और स्वयं आगे के निर्णय लेने के लिए क्योंकि सत्य यही है की, जो स्वयं बचना नहीं चाहते, उन्हें कोई बचा नहीं सकता । और हां, जाते-जाते, आप उसे सतर्क और सुरक्षित रहने का सुझाव अवश्य दीजिए क्योंकि अगर आपकी बातों से प्रभावित होकर वह अपने हिंसक ब्वॉयफ्रेंड से किनारा करती है तो वह कुपित होकर उसके साथ कोई और भयंकर घटना करने की कुचेष्टा भी कर सकता है, उसे मानसिक रूप से परेशान करने का प्रयास कर सकता है । ऐसे में, उसे अपने बचाव के लिए सन्नध रहना चाहिए और उचित यह होगा की वह ऐसी किसी घटना की प्रतीक्षा ना करते हुए, हिम्मत करके, अपने हितैषियों को सब कुछ पहले ही बता दे । मां-बाप की फटकार में भी प्रेम ही छुपा होता है इसलिए उनसे कुछ भी छिपाना आवश्यक नहीं है ।
अंततः, आप ईश्वर से उसका मार्गदर्शन करने की प्रार्थना करिए और आपको सही कार्य करने की प्रेरणा देने के लिए धन्यवाद करिए ।
यह हस्तक्षेप का पूरा चक्र है मेरे दोस्तों ।
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