ज़फरुल “इस्लाम ” ये भारत का नया ज़ाकिर नाइक है , वही ज़ाकिर नाइक जो अपनी तकरीरों में जेहाद को भी सही ठहराया करता था और भारत में बैठ कर भारत के खिलाफ ही लगातार ज़हर उगलता था बदले में कांग्रेस और इसके जैसे पार्टियों को चंदे के रूप में भारी भरकम पैसे देता था |

भाजपा की नई सरकार आते ही उसके ऊपर ऐसा शिकंजा कसना शुरू हुआ कि फ़ौरन ही भाग खड़ा हुआ | लेकिन जाते जाते भी अपने हिमायती और खुद के जैसे सोच वालों को इस देश में ही छोड़ गया ताकि वे उसके एजेंडे को आगे बढ़ाते रहें |

इसी क्रम में एक नया नाम निकल कर सबके सामने आया है वो दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग का वर्तमान अध्यक्ष : जफरूल इस्लाम | ये वही ज़फरुल इस्लाम है जिसने नागरिकता संशोधन कानून के विरूद्ध भड़की प्रतिक्रया और हिंसा को उस वक्त ये कह कर हवा दे दी थी कि यदि यहां के मुसलमान अरब में रहने वाले अपने मुसलमान कौम वालों को ये सन्देश दे दें कि उनके ऊपर यहाँ कितना अत्याचार हो रहा है जो अरब देश में किसी भी भारतीय को काम नहीं मिलेगा | एक संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति इस तरह के गैर जिम्मेदाराना बयान दे तो स्पष्टतः ही समझ आ जाता है कि ये भी कट्टर और जेहादी सोच का इंसान है | जफरूल के इस कथन जिस पर बाद में उसने माफी मांगी थी , के विरुद्ध दो राष्ट्र द्रोह के मुक़दमे भी दर्ज़ किये गए |

अब एक बार फिर से ज़फरुल का इस्लाम जाग गया और दिल्ली दंगों की जांच कर रही दिल्ली पुलिस पर ही आरोप लगा दिया कि पुलिस ही पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर जांच कर रही है | इसलिए दिल्ली पुलिस से यह जांच की जिम्मेदारी लेकर किसी अन्य स्वतन्त्र संस्था को दे दिया जाए | ऐसे राष्ट्रविरोधियों के लिए हमेशा ही तत्पर दिखने वाले अधिकवक्ता प्रशांत भूषण ने भी लगे हाथों इस मांग के सुर में अपना सुर मिला लिया |

कहने और बताने की जरूरत नहीं कि ,जफरूल इस्लाम ने दिल्ली दंगों की जांच पर आधारित अपनी रिपोर्ट में , दिल्ली दंगे के मुख्य आरोपी और आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन को ही बिलकुल मासूम और निर्दोष दिखाने के लिए वो सब कार्य ,कथ्य और तथ्य उस रिपोर्ट में शामिल किये जो उनके इस मंसूबे को पूरा करे |

आजमगढ़ में पैदा और पला बढ़ा खुद को मुस्लिम धर्म का विद्वान घोषित किये हुए ये मौलाना असल में उन लाखों मौलानाओं से ज्यादा खतरनाक है जो कम से कम खुल्लम खुल्ला फतवे जारी करके अपनी घृणा का प्रदर्शन कर तो देते हैं ,लेकिन ये तो वो सफेदपोश लोग हैं जो दुनिया जहान की किताबें साहित्य और संस्कृति से परिचय होने के बावजूद मुस्लिम धर्म में व्याप्त बुराइयाँ ,अंधविश्वास ,अशिक्षा आदि के लिए कुछ करने की बजाय उसी कट्टरपंथी सोच को हवा देकर अपनी सियासती और मज़हबी रोटियां सेक रहे हैं |

देश सरकार और प्रशासन को न सिर्फ ऐसे ज़ाकिरों की सोच से सतर्क और सचेत रहना है बल्कि इनका मुकम्मल इंतज़ाम भी किया जाए ताकि ये अपनी घृणा की दुकानदारी यूँ ही न चलाते रहें |

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