Dear BollyWood,
हम आपसे गुस्सा नहीं हैं. हम सलमान खान और आमिर खान से भी गुस्सा नहीं हैं और न ही किसी भी बॉलीवुड वाले से. हमे दुःख तब होता है जब हमारी फिल्मों में आतंक फ़ैलाने वाले देश का कलाकार काम करता है. हमे दुःख तब होता है जब महापुरुषो को छोड़ कर गुंडों और गद्दारो पर फिल्में बनती हैं और उनको जस्टिफाई किया जाता है. हमे दुःख तब होता है जब आमिर खान जैसे अभिनेता भारत के खिलाफ बयान देने वाले देश की प्रथम महिला से मिलते हैं. हमे दुःख तब होता है जब स्वरा भाष्कर और फरहान अख्तर जैसे लोग CAA के नाम पर झूठ फैलाते हैं. हमे दुःख तब होता है जब अरिजीत सिंह को हटा कर एक पाकिस्तानी से गाना गवाया जाता है. हमे दुःख तब होता है जब “तेरी मिट्टी” गाने के आगे “नंगा ही तो जायेगा” गाने को पुरुष्कार दिया जाता है.
हमे दुःख तब होता है जब चर्च के फादर और मौलवी को महान दिखाया जाता है और उसी फिल्म में पंडित को गलत दिखाया जाता है. अक्सर फिल्मों में बनिया, ठाकुर, लाला इत्यादि गलत होते हैं और खान बाबा, डिसूज़ा इत्यादि महान होते हैं. हमे दुःख तब होता है जब शुद्ध हिंदी बोलने वाला और सरदार को बेवकूफ दिखाया जाता है और अंग्रेजी बोलने वाले को सभ्य दिखाया जाता है. दुःख तब होता है जब अरबी और अंग्रेजी में गाने लिखे और गाये जाते हैं और संकृत के नाम पर तांडव स्त्रोत के अलावे कुछ और गया ही नहीं जाता है.
हमे दुःख तब होता है जब दूध बहने पर लेक्चर दिया जाता है और खून बहने पर मुबारकबाद. हमे दुःख तब होता है जब दिवाली के पटाखे से दम्मा होता है और नए साल के पटाखे से ऑक्सीजन मिलता है. हमे दुःख तब होता है जब अमिताभ बच्चन कहते हैं के घूँघट ने महिलाओं को पीछे कर रखा है और अगले ही एपिसोड में बुरखे पर मौन धारण कर लेते हैं.
ऐसा क्यों है के महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, राणा सांग, राजा दाहिर, पृथ्वी राज चौहान इत्यादि पर कभी कोई फिल्म नहीं आई. ऐसा क्यों है के फिल्मो में भारतीय सभ्यता का केवल मजाक ही उड़ाया जाता है? ऐसा क्यों है के इतने साल बाद राम मन्दिर का फैसला आने के पर खुले दिल से बॉलीवुड ने राम मंदिर बनने की शुभकामनाए नहीं दी ?
ये सच है के भारतीय राजनेताओं की तरह बॉलीवुड ने भी 20% आबादी को खुश करने के चक्कर में 80% आबादी के भावनाओ की कभी परवाह नहीं करी. हा ये सच है के बॉलीवुड सुशान्त के समर्थन में खड़ा नहीं हुआ. हा ये सच है कि बॉलीवुड ने चोरी, हत्या, बलात्कार इत्यादि के नए नए तरीके सिखाये. हा ये सच है कि बॉलीवुड ने भारतीय संस्कृति और भारतीय धर्मो का मजाक बनाया और विदेशी धर्मो को महान बताया. ये भी सच है बॉलीवुड कभी भी हिन्दुओ के समर्थन में खुल कर खड़ा नहीं होता है और जब बात दूसरे धर्म की आती है तब उसका समर्थन करने से कभी पीछे भी नहीं रहता.
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