हेमंतकुमार गजानन पाध्या. ( यु.के)

भारतकी स्वतंत्रताके अभभयानमें योगदान देनेवाले अनेक महान भारभतय भवभूभतओंसे हम सुपररभित है मगर भारतकी स्वतंत्रताके अभभयानमें अपना समर्थन और अपना महत्वपुर्थ योगदान देनेवाले कुछ अंग्रेज राजनेताके नाम और कायथसे शायद बहोत ही कम लोग माहितगार हैं कि स्वतंत्र भारतके आधुनिक ईतिहासकारोंने राजकीय कारणोंसे उनके महत्वपूर्थ योगदानकी अवगर्ना की यातो उनके योगदानकी महत्ताको अल्प या तुच्छ समझा जैसे उन्नेहोंने सशस्त्र्स क्रांतिकारीओंको समझा था । ऐसे ही भुले या भुलाये गये एक अंग्रेज राजनेताका नाम मि. हेन्री मायर्स हाईन्ड्मन था जिन्होंने भारतकी स्वतंत्रताकी मांगकी गर्जनाको ब्रिटन और विश्वभरमें बुलंद करनेमें अपना महत्वपुर्थ सहयोग एवं सहकार प्रदान करके उसे भवश्वस्तर पर प्रिार और प्रसार करनेमें अपना योगदान अपथर् भकया र्ा और अपनी ही भिभटश सरकार की दमनकारी भनतीओंका सख्तरुपसे भटका, खंडन और भवरोध भकया र्ा। ये वो महान व्यक्ति र्े भजन्ोंने अपनी जाती, अपने लोग, अपने देश और सरकारके भवरुद्ध जाकर उनके संस्त्रर्ानवाद, सरमुखत्यारशाही और दमनकारी भनतीओंकी भनंदा करके भारतके लोगोंको और नेताओंको अपनी स्वतंत्रता और स्वराज भदलानेके लीए अपना सार्, सहकार एवं मदद प्रदान की र्ी। भवश्वमें ऐसे बहोत जुज लोग अवतरीत होते है भजन्ोंर्ॅ अपनेही मातृभूभमकी सरकारके सामने पराये देश, धमथ और उनके लोगोंकी स्वतंत्रताके लीए आंदोलन छेडा हो। भम. हेन्री मायसथ हाईन्ड्मनएसी महान व्यक्तिओं में से एक व्यक्ति हैं भजन्ोंने अपनी ही मातृभूभमकी सरकार और साम्राज्यके भवरुद्ध परायोंकी स्वतंत्रता और स्वराज्यके लीए आंदोलन िलाया र्ा। स्वतंत्र भारतके नेताओं, ईभतहासकारों और भारतकी राष्ट्रवादी जनताको अपनी भूलको सुधारके ऐसे भिभटश और अन्म भवदेशी महानुभावों भजन्ोंने भारतकी स्वतंत्राके लीए अपना सहयोग, सहकार एवं मदद प्रदान करके भारतकी स्वतंत्रताके अभभयानमें अपना योगदान भदया र्ा ऐसे गैरभारभतय व्यक्तिओंको भी अपने स्वातंत्र्यसेनानीओंकी तरह ही उन्ें यर्ायोग्य स्त्रर्ान और स?ान देकर भारतके स्वातंत्र्य ईभतहासके पन्ों पर उनका नाम भी अंभकत करना िाभहये।

भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनका ज? ७ मािथ १८४२ में एक भिटनके नामांभकत धनाड्य व्यापारीके पररवामें हुआ र्ा। भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमने १८६५मां भटरभनटी कोलेज, केक्तिज, से स्नातक पदभव प्राप्त की र्ी और उसके पयंत कायदाशास्त्रकी दो साल पढाई की र्ी। वो एक प्रर्म श्रेर्ीके भक्केटर र्े और उन्ोंने १८६४ से १८६५ तक केक्तिज भवश्वभवद्यालय, मेरीलबोनथ भक्केट कलब और ससेक्स भक्केट भक ओर से १३ मेिोमें खेले र्े। कायदाशास्त्रकी भशक्षके बाद उन्ोंने पत्रकार बननेका भनश्चय भकया और
प्रख्यात समािारपत्र पोल मोल गेझेटमें पत्रकारका दाभयत्व क्तस्वकार भकया। उनके ईटली और औस्ट्रीयाके युद्धके पत्रकारत्वके दाभयत्व कालमें वो ईटलीके राष्ट्रवादी नेताओंके संपकथमें भी आये र्े। वो उनकी राष्ट्रवादी आंदोलनसे प्रभाभवत हुए र्े और उन्ोंने सहानुभूभत भी जताई र्ी। १८६९ में भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमन भवश्व प्रवास पर भनकले और उन्ोंने अमेरीका, ओस्ट्रेभलया और युरोपके कई देशोंमें पररभ्रमर् भकया और पोल मोलमें अपने लेख लीखते रहे। भम. हेन्रीका उछेर एक धभनष्ठ पररवारमें होनेसे उनकी भविारधारा रुढीिुस्तवादी, भिभटश साम्राज्य समर्थक, सामंतवादी और उमराउवादी र्ी। वो पाल मोल गेझेटमें भिटीश साम्राज्यवादकी भरपूर प्रशंशा भी करते र्े और आयलेन्डके स्वराज्यकी मांग करनेवालोंकी सखत शब्ोंमें आलोिना भी करते र्े परंतु वो फभडथनान्ड लेस्त्रली के जीवन पर आधारीत नवलकर्ा के माध्यमसे उनके समाजवादी भमत्र कालथ माकथसके भवषयमें रूिी लेने लगे। कालथ माक्सथ की पुस्तक ‘’ध कोम्मुभनस्ट् मेभनफेस्ट्ो’’ के अध्ययनने भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनकी भविारधाराको हंमेशाके लीए बदल कर रख भदया । भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमन, कालथ माक्सथके तत्वज्ञान, भविारधारा और मूडीवादकी पररभाषा एवं भवश्लेषर्से अत्यंत प्रभाभवत और प्रेरीत हुए र्े । ईस तरह एक कट्टर मुडीवादी, रुढीिुस्तवादी, भिभटश साम्राज्य समर्थक, सामंतवादी और उमराउवादी भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनका एक कट्टर समाजवादीमें पररवतथन हो गया।
भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनने कालथ माक्सथके भविारोंको लोकभप्रय बनानेके लीए अंग्रेजी भाषामें ‘’ईंग्लंड फोर ओल’’ भशषथककी पुस्तक लीखी । ईस पुस्तकको बभड प्रशंशा और सफलता प्राप्त हुई। भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनने अब भिटनकी राजभनतीमें प्रवेश करनेका मन बना लीया और उन्ोंने भिटनमें सवथ प्रर्म समाजवादी पक्ष ‘’ सोभसयल डेभमक्ेभटक फेडरेशन’’ की स्त्रर्ापना ९ जुन १८८१ के भदन की र्ी। . हेन्री मायसथ हाईन्डमनको भिटनकी सोभसयभलस्ट् पाटीके जनक मानेजाते हैं। भिटनमें हालकी ‘’लेबर पाटी’’के मूलांश भी ‘’ सोभसयल डेभमक्ेभटक फेडरेशन’’में गडे हुए हैं। उन्ोंने ‘’जक्तस्ट्स’’ नामके सामभयकपत्र भी प्रकाभशत भकया। कालांतर कालथ माक्सथकी बेटी भलयानोर माक्सथने भी उस पक्षमें सभ्य बनी र्ी। भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनने अपनी लीखी हुई दुसरी पुस्तक १८८३ में ‘’सोभसयभलझम मेइड प्लेईन’’ प्रकाभशत की र्ी । कालांतर भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनने ‘’भिटीश सोभसयभलस्ट् पाटी और नेशनल सोभसयभलस्ट् पाटी’’ की भी स्त्रर्ापना की र्ी।
भारतीय स्वातंत्र्य संग्राम भारतके और भवदेशी भारतीय लोगोंका एक भवश्वव्याभप आंदल र्ा मगर ईस आंदोलनने कुछ अंग्रेज, अमेररकन. फ्रेन्च, रभशयन ईत्यादी लोगोंको भी प्रभाभवत भकया र्ा और वो परदेशी लोग भारतकी स्वतंत्रताकी मांगको अपना समर्थन करके सहयौग, सहकार और मदद प्रदान करते र्े। ऐसे लोगोंमें भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमन (१८४२-१९२१) भारतकी स्वतंत्र्यताके एक अग्रज, उत्साही एवं िुस्त समर्थक र्े। भम. हेन्री हाईन्डमन एक धनवान व्यक्ति होते हुए भी समाजवादी और प्रगभतशील उग्रवादी भी र्े। वो एक स्वातंत्र्य भप्रय, संस्त्रर्ानवाद भवरोधी भनडर, और कुशल समाजवादी राजनेता एवं प्रर्म श्रेर्ीके ितुर पत्रकार, लेखक और प्रविा र्े। ईंभडयन नेशनल कोंग्रेसके स्त्रर्ापनाके दो दशक पहले से ही भारतके बारेमें उनको ज्यादा सुरुभि र्ी क्ुंभक उनके पररवारका भारतसे लंबे समयका संबंध र्ा। प्रारंभकालमें उनकी धारर्ा र्ी भक भिटीश साम्राज्यकी सत्ता भारतके लीए कल्मार्कारी और लाभदायी हैं मगर भम. जेम्स गेभिसके भारत पर लेखनका गहन अध्ययन, डॉ.. ररिडथ कोन्ग्ग्रीव, लन्डन पोभसभटवीस्ट् सोसायेटीके संस्त्रर्ापक, और फ्रेन्च तत्वज्ञानी ओगस्ते कोम्तेके अनुयायी, से व्यक्तिगत मुलाकात और ििाथ के पश्च्यात उनकी भिभटश साम्राज्य और संस्त्रर्ानवादकी
भविारशैलीलीमें महान पररवतथन हुआ और वो भिभटश साम्राजय और संस्त्रर्ान्वादके एक कट्टर आलोिक और भवरोधी बन गये।
अंग्रेज नागरीकोंको भिटीश संस्त्रर्ानों और उनकी स्त्रर्ाभनक प्रजा के प्रभत उनका दाभयत्व, मानवता और भज?ेवारी का अहसास करानेके लीए भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनने ईंग्लंडके भभन् भभन् समािार पत्रों और समाभयकोंमें अपने लेख लीख कर भारत और अन्म भिटीश संस्त्रर्ानोंकी वास्तभवक हालतको प्रदभशथत भकया। १८७०मे श्री दादाभाई नवरोजजीके लीखे लेख ‘’ पोवटी ओफ ईंभडया’’ पढकर भम हाईन्डमन अत्यंत प्रभाभवत हुए और उन्ोंने दादाभाईसे भमत्रािारी बढाई और वो दोनों समद्रष्ट्ाकी भमत्रािारी गाढ संबंधमें पररवभतथत हो गई। रानी भवक्टोररयाकी ज्युभबली महोत्सवके वषथमें दोनोंने भमलकर ‘’एक्ति फेमीन एजीटेशन’’ याने भुखमराके भवरुद्ध आंदोलन िलाया। दादाभाईने भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनको उनके अपने ‘’ईंभडयन फेमीन’’ भवषय पर लेखन कायथमें मदद करते र्े क्ुंभक हेन्रीजी भारतकी वतथमान, स्त्रर्ाभनक, व्यवहाररक, अर्थतंत्र और भौगोलीक पररक्तस्त्रर्भतसे पररभित नभहं र्े क्ुंकी वो कभी भारत गये नभह र्े। दोनोमें गाढ भमत्रािारी होने पर भी नम्रमतवादी राष्ट्ीयवादके पूजारी श्री दादाभाई नवरोजजीको भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनकी राजनैभतक भविारधारा बहोत ही उदाममतवादी और अभत आक्ांतक लगती र्ी । योगानु योग १८९७में पंभडत श्यामजी कृष्णवमाथजीका ईंग्लंडमे एक राष्ट्रवादी क्ांभतकारी स्वातंत्र्य सेनानीके नये स्वरुपमें लंडनमें पुनःआगमन हुआ जो अपने भकतीमान भदवानपदको और लाभदायी कोटन प्रेसके व्यापारको छोडकर अपनी मातृभूभम भारतको भिटीश सरमुखत्यारशाही और आपखुदशाहीसे स्वतंत्र कराने के लीए आंदोलन स्त्रर्ाभपत करने लंडन आये र्े। लंडनमें पंभडत श्यामजी कृष्णवमाथजीका पररिय दादाभाईके सांभनध्यमें भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनके सार् हुआ और टुंक समयमें ही ये पररियको गाढ भमत्रतामें पररवभतथत होनेमें देर न लगी क्ुंकी दोनों की उदाम राष्ट्रवादी भविारधारा समान र्ी। भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनने पंभडत श्यामजी कृष्णवमाथजीके ध्येय और कायथका अभभवादन भकया और अपना संपूर्थ सहयोग प्रदान भकया र्ा। ’ईंभडयन होम रुल सोसायेटी’’ संस्त्रर्ाकी स्त्रर्ापनाकी योजना भी भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनके संपूर्थतह अर्मोल प्रस्तावके कारर् पंभडत श्यामजी कृष्णवमाथजीने की र्ी। ‘’ईंभडयन होम रुल सोसायेटी’’की स्त्रर्ापनाके पश्च्यात पंभडत श्यामजीके स?ानमें भोजन समारंभका आभयओजन भकया गर्ा जीसमें भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनको भी भनमंभत्रत भकया गया र्ा मगर उन्ें आवश्यक कामसे पेरीस जाना पडार्ातो वो भाग ले नभह पाये र्े मगर उन्ोंने एक भावामक पत्र भेजा र्ा जो जुन १९०५के ‘’ ध ईंभडयन सोभसयोलोजीस्ट्’’ समािारपत्रमें प्रगट भकया गया र्ा जो भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनके भारत प्रभत प्रेम, सदभावना और सहानुभूभत व्यि करता है। भारतकी अंग्रेजोंकी अनैभतक सत्ता द्वारा की गई दुदथशाके लीये और भारतकी राष्ट्रीय उपज और कमाईकी लूंट्के लीए उन्ोंने एक अंग्रेज होते हुए भी अपनी भयभभततता और शरभमंदगी जाभहर की र्ी। पत्रके अंभतम िरर्में उन्ोंने भलखा र्ा ‘मैं भहमालयसे लेकर कन्मा कुमारी तक और बमाथसे लेकर मुंबई तक के स्वतंत्र और स्वशाभशत भारत, एसे भारतके लीए, ‘टॉस्ट्’’ करके भपता हुं।‘’ ईस वाकय उन्के हृदयमें भारतके प्रभत उनकी सदभावना और शुभेच्चा प्रकट होती हैं।
जब पंभडत श्यामजीने १९०५मे ‘’ईंभडया हाऊस’’ नामकी प्रवासी भारतीय छात्रोंके लीए छात्रालय शरु करनेकी योजनाको मूतथ स्वरुप भदया तब ‘’ईंभडया हाऊस’’का उदघाटन करने के लीए मुख्यमहमानके रुपमें पंभडत श्यामजीने एक सहृदयी और भारतके स?े अंग्रेज भमत्र भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनको सुयोग्य माना और उनके शुभ हस्तोंसे ‘’ईंभडया हाऊस’’का उदघाटन करवावाके एक सहृदयी स्वतंत्र
भारतप्रेमीको स?ान दीया र्ा। जो पंभडत श्यामजी और भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनके घभनष्ठ संबंध और आक्तियताका एवं भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनकी भारतकी स्वतंत्रताके प्रभत अर्ाग आस्त्रर्ा, प्रेम. करूर्ा और सहानुभूभतका प्रमार् हैं।
भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनने ‘’ईंभडया हाऊस’’का उदघाटन करते हुए एक लंबा शानदार, सिोट और सभटक भाषर् भदया र्ा। उन्ोंने भारतीय स्वतंत्रताके लीए पंभडत श्यामजीके प्रयास और प्रयत्ोंकी भरपूर प्रशंशता करते ‘’ईंभडया हाऊस’’के उदेश्यकी प्रशंशा की र्ी। उन्ोंने भारभतयजनोंको साविेत करते हुए कहार्ा भक,’’ जीस तरह पररक्तस्त्रर्भत खडी हैं, ग्रेट भिटेन के प्रभत वफादारी का मतलब भारतका भवश्वासघात है। मैं अब इंग्लैंड को एक देश या एक व्यक्ति के रूप में नहीं बोल रहा हं, बक्ति उस व्यवस्त्रर्ा के शासक के रूप में बोल रहा हं भजसे हम भहंदुस्तान पर र्ोपते हैं।‘’ भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनने अपने भाषर्के अंभतम िरर्में एक भभवष्यवेत्ताके रुपमें कहार्ा भक,’’ देश्च्भक्तिका अर्थ समज नभह हैं, लेभकन भवश्वकी सबसे व्यापक क्तस्वकृभतमें हैं। भारत अपने हकके सुयोग्य स्त्रर्ान पर भवश्वकी सभ्यताओकी महान शक्तिओंके बीि उभर कर आयेगा और मैं आशा करत हुं भक ईंग्लंड अपनी ही भलाईके लीए अपना कतथव्य समझ कर उसे मदद करके ऊसका क्तस्वकार करें, नभह भक उनके भव्य भवकासको किडने के लीए ।‘’ इस ‘’ईंभडया हाऊस’’ की संस्त्रर्ा का अर्थ है भारतीय भवकास और भारतीय मुक्ति की भदशा में एक महान कदम, और आज दोपहर यहां आने वालों में से कुछ इसके भवजयी सफलता के पहले फल का साक्षी बनने जीभवत रहेंगे । मैं घोषर्ा करता हुं की मई भारत भवनको शुरु करता हुं।‘’ ‘’ईंभडया हाऊस’’ के स्त्रर्ापक एवं माभलक पंभडत श्यामजी कृष्णवमाथजीने अपने व्यिव्यमें अपनी अभभलाषा प्रगटकी भक,’’ ’ईंभडया हाऊस’ में प्रस्ताभवत पुस्तकालयका नाम भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनके स?ानमें उनके नाम पर ‘’ध हाईन्डमन लायिेरी’’ होगा। ‘’
‘’ईंभडया हाऊस’’ और पंभडत श्यामजी कृष्णवमाथजीके माध्यमसे भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमन श्री लोकमान्म बाल गंगाधर भतलक, मेडम भभखैभज कामा, श्री सरदार भसंह राना, श्री लाला लजपत राय, भबपीनिन्द्र पाल जैसे कई भारभतय नेताओंके गहन संपकथमे आये र्े। भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमन पंभडत श्यामजी और उनके सहकायथकरोंके कायथमें बडी सभक्यतासे उनको सहकार एवं मद प्रदान करते र्े और भिभटश समाजमें भारतीय स्वतंत्रता और पंभडत श्यामजी कृष्णवमाथजीके कायथका प्रिार प्रसार भी करते र्े। अपने समाभयक ‘’जस्ट्ीस’के माध्यमसे भारतकी स्वतंत्रताके अनुसंधानमें समािार और लेख प्रकाभशत करते र्े। भम. हेन्री हाईन्डमन ही ऐसे कट्टरर और तठस्त्रर् अंग्रेज व्यक्ति र्े जो जु?ी, अत्यािारी, सरमुखत्यारशाही भिटीश सताको पलटाकर भारतको स्वराज्य भदलानेकी भहमायत करते र्े । भारतकी राजभनतीमें उदभभवत हो रहे अराजतावादीओंके आिघाती हमलोंके लीए वो भिभटश सरकार, उनके कुकमों और उनकी अमानवीय भनतीओंको दोभषत ठहराते र्े। भम. हेन्री हाईन्डमन के लेख और भाषर् ईतने प्रबल, उग्र और भिटीश सरकार और तंत्रके भवरुद्ध होते र्े की उसने भिभटश साम्राज्य और उनके नोकरशाहीकी भनंद हराम कर दी र्ी । भम. हेन्री हाईन्डमन एक ऐसे सवथप्रर्म अंग्रेज व्यक्ति र्े जीनके लेख. समािारपत्र, सामभयक और पुस्तकों पर भारतकी भिटीश सरकारने भारतमें प्रभतबंध लगा दीया र्ा। ईंग्लंडमें वार्ीस्वातंत्र्यया का ह्क होनेसे भिटीश सरकार भम. हेन्री हाईन्डमनको कुछ भी करनेमें असमर्थ र्ी ऊसी बात पर उन्ोंने दृढ भनश्चय कर भलया र्ाकी जहां तक वो बोल और भलखशकनेमें समर्थ रहे तो वो मरते दम तक भारतकी स्वतंत्रता और स्वराज्यके लीए बौभधक लडाई लडते रहेंगे और भिटीश साम्राज्यकी भवरुद्ध एक भनभथय और भनडर विा और लेखककी
तरह संघषथ करते रहेंगे। १८८०के दायकेमें भम. हेन्री हाईन्डमन ध आयरीश नेशनल लेन्ड लीग और ध लेन्ड लीग ओफ ग्रेट भिटनके अग्रज और प्रभसद्ध सभ्य र्े। जब १८९९ में दभक्षर् आभफ्रकामें भिटीश सामराज्यने वहांके दो स्वतंत्र राज्य रीपक्तिक ओफ टरान्सवाल और ओरेन्ग्ज भफ्र स्ट्ॅट पर िढाई करके युद्ध शरु भकया र्ा, जो भद्वभतय बोर युद्धके नामसे जाना जाता है, तब भम. हेन्री हाईन्डमनने अपनी ही सरकारका भवरोध कर के युद्धमें दोनों स्वतंत्र बोर राज्योंका समर्थन भकया र्ा। भम. हेन्री हाईन्डमन एक कट्टर कालथ माक्सथ समाजवादी र्े और ध ईिनेशल सोभसयाभलस्ट् कोंग्रेसमें उनका भारी प्रभाव र्ा और हर महाअभधवेशनमें वो भारतकी स्वतंत्रता और स्वराज्यके लीए स्वर उठाते रहे और भवभवध देशॉके कोमरेडोंको समझाकर समर्थन जुटानेका प्रयत् करते रहते र्े। जब १८९६में ध ईिनेशल सोभसयाभलस्ट् कोंग्रेसका महाअभधवेशन लंडनमें हुआ तब भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमन्को ईस महाअभधवेशनके िेमथन पदका दाभयत्व सोंपा गया र्ा। भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनने सोभसयाभलझम, मर्क्क्क्षीझम, संस्त्रर्ानवाद के भनयम, स्वतंत्रता, अर्थशास्त्र, क्ांभत और भारतकी पररक्तस्त्रर्तोके बारेमें लगभग ६७ पुस्तक, संशोधन पत्र एवं लेख लीखेर्े । उन्ोंने १८७८ में ‘’बेंकरप्सी ओफ ईंभडया पाटथ -१’’ और १८७९ में ‘’बेंकरप्सी ओफ ईंभडया पाटथ -१२’’ और १९०७में ‘’रुइन ओफ ईंभडया’’ प्रकाभशत भक र्ी। भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमन सदा भारत और भिभटश संस्त्रर्ानो और वसाहतों के संदभथमें सदा अपनी वोश्वमंिो पर गुंज उठाते रहे। उन्ोंने ओगस्ट् १९४में हुई ‘’ध ईिरनेशनल सोभशयाभलस्ट् कोंग्रेस’’के लीए ‘’कोलोनीस भडपेन्डनसीस’’ भशषीत एक प्रस्ताव रजु करके आधुभनक संस्त्रर्ानकी जमावट और भवजयकी उस प्रर्ाली श्रभमकों के लीए हाभनकारक होनेसे उअसकी भनंदा करने के लीए आहवान भकया और भारतके संदभथमें ग्रेट भिटनके कामदारोंअपनी सरकारसे वहांके भवशाळ और गीि बक्तस्तके भवस्तारमें भफर स्त्रर्ाभनकसता या स्वराज्यकी स्त्रर्ापना करानेकी मांग उठानी िाभहये । मुझे कोई संदेह नभह हैं भक ईन प्रस्तावोंको सभ्य भदभनयाके श्रभमकोंके प्रभतभनभधओंके द्वारा सवथ स?भतसे पसार भकया जायेगा। ‘’
सन १९०७में मेडम भभखाईजी कामाने ७वी ईिनेशल सोभसयाभलस्ट् कोंग्रेस, स्ट्ूटगाटथ, जमथनीमें स्वतंत्र भारतका सवथ प्रर्म ध्वज लहराकर भवश्वके समाजवादी नेताओंको भारतकी स्वतंत्रताके लीए अपना समर्थ और योगदान प्रदान करनेके लीए ईभतहासमें पहली बार आंतरराष्ट्रीय मंिसे आवाहन भकया र्ा और भिभटश सरकारको सावथजभनक रुपसे ललकारा र्ा। ईस ईिनेशल सोभसयाभलस्ट् कोंग्रेसमें सवथ प्रर्म प्रवेश भदलवानेका ओर उदबोधन का समय भदलवानेका संपूर्थ श्रेय भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनको जाता है। भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनने अपने भमत्र पंभडत श्यामजी कृष्णवमाथजीकी योजना पर मेडम कामा, श्री सरदरभसन् रार्ा और उनभक पभत्के लीए ईिनेशल सोभसयाभलस्ट् कोंग्रेसमें भारभतय प्रभतभनभधके रुपमें प्रवेशपत्र , भिभटश सरकारके कडे भवरोधके उपरांत भी, ईसे सुलभ करानेमें अहम भूभमका भनभाके भारतकी स्वतंत्रताकी बुलंद गजथनाको और भिभटश सत्ताके अमानवीय अत्यािारोंको भवश्वके लोगोंके सामने प्रदभशथत करने के लीए वैभश्वक मंि पर ऊबोधन करनेके लीए प्रभतभनभधत्वका स्त्रर्ान प्राप्त करानेमें बडी सहायता की र्ी । भारतीय स्वतंत्रताके ईभतहास में १९०७के ये ऐभतहाभसक प्रसंगको यर्ार्थ करानेमें ये भिटीश सज्जन भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनका महत्व पूर्थ योगदान रहा है इशे भारत ओर भारतकी प्रजाको सदा गौरवके सार् स्मरर् करना िाभहये और भारतीय स्वतंत्रताके ऐभतहाभसक प्रसंगो पर उसे स?ान और अंजली अपथर् करनी िाभहये। भारतके स?े भमत्र, भहतेषी और सहायक भम. हेन्री मायसथ हाईन्डमनकी १७९वीं ज? जयंभत पर आज स्वतंत्र भारतके भारत वाभसओंको ये भारतके महान सहृदयी भमत्र, सह आंदोलनीकारी, िीतीश साम्रायवादके भवरोधी कायथकर, भारतीय
स्वतंत्रताके प्रिारक,कायथकताथ एवं हायकको एक अपनेही राष्ट्रभिों और बलीदानीओंकी तरह आदयभर्य भावसे स?ानसह स्मरर्ांजली सहीत पुष्ांजली समभपथत करनी िाभहये।
वन्दे मातरम् ।
जन्म ०७-

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