आपको पता है 38 “भांडवुडियों” ने अर्नब गोस्वामी के रिपब्लिक के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर के मांग की है कि अर्नब को उनके खिलाफ टिप्पणियां करने से रोका जाये –ये लोग बॉम्बे हाई कोर्ट ना जा
कर दिल्ली हाई कोर्ट में आये जिससे इन्हे लुटियन के दलालों का समर्थन मिल सके –
मैंने अपने कुछ वकील मित्रों से कहा था कि ये दिल्ली हाई कोर्ट नहीं आ सकते क्यूंकि रिपब्लिक और टाइम्स नाउ दोनों के ऑफिस मुंबई में हैं –उनका मत था कि ये आ सकते हैं क्यूंकि चैनल्स पूरे भारत में टेलीकास्ट होते हैं –
कल सुप्रीम कोर्ट में रिपब्लिक ग्रुप की मुंबई पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की पीठ ने ग्रुप के अधिवक्ता
हरीश साल्वे से कहा —
” कोविड -19 महामारी के दौरान भी उच्च न्यायालय काम करता रहा है – मीडिया समूहको वहां जाना चाहिए- इस पर हरीश साल्वे ने इस मामले में चल रही जांच को लेकर कुछ आशंका व्यक्त की — इस पर पीठ ने कहा –
आपके मुवक्किल का “वर्ली” (मुंबई) में कार्यालय है,आप बॉम्बे हाई कोर्ट जा सकते हैं – हाई कोर्ट द्वारा मामले को सुने बगैर ही इस तरह से याचिका पर विचार से भी (गलत) सन्देश जाता है”
पीठ ने परवीर सिंह के चैनल्स को इंटरव्यू देने पर टिपण्णी करते हुए चिंता व्यक्त की कि हाल के समय में पुलिस आयुक्तों के इंटरव्यू देने का चलन हो गया है”
हरीश साल्वे ने हाई कोर्ट जाने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस ले ली –
अब तो मामला साफ़ हो गया ना कि जब रिपब्लिक और टाइम्स नाउ का कार्यालय मुंबई में होते हुए बिना बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई के सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई नहीं की तो ऐसे में “भांडवुडियों” ने बॉम्बे हाई कोर्ट छोड़ कर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कैसे कर दी —
दिल्ली हाई कोर्ट को उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट जाने के लिए कहना चाहिए और ऐसा यदि नहीं होता तो फिर,हर कोई अपने अपने दिमाग से जो चाहे समझ सकता है —
एक बात जरूर है कि बिना हाई कोर्ट में किसी मसले के गए हुए सुप्रीम कोर्ट ने अनेक मसलों पर सुनवाई की है –ज्यादा देर पहले की बात नहीं है –इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अभी हाथरस मसले पर सुनवाई शुरू ही की थी परन्तु सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनवाई शुरू कर दी थी —
शहरी नक्सलों को भी पहले बॉम्बे हाई कोर्ट जाना चाहिए था मगर उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सीधे ही सुनवाई कर ली थी जिसमे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर “लोकतंत्र के सेफ्टी वाल्व” होने की बात की थी –ऐसे बहुत केस मिल सकते हैं –
वैसे आज ही अर्नब का चैनल बॉम्बे हाई कोर्ट चला गया जहां से परमवीर सिंह को चैनल्स को इंटरव्यू देने पर झाड़ पड़ी –ये झाड़ उन चैनल्स के एडिटर्स को भी मानी जाएगी जिन्होंने अपनी वाह वाही लूटने के लिए परमवीर का इंटरव्यू लिया —
(सुभाष चन्द्र)
“मैं वंशज श्री राम का”
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