यह सम्भव ही नहीं कि वामपंथी सनातन के किसी पर्व पर चुप रह सके।
शक्ति की आराधना का पुनीत पर्व नवरात्र प्रारम्भ हो चुका है। इस दौरान समस्त सनातनी अलग-अलग तरह से पूजा-अर्चना करते हैं। जैसी श्रद्धा वैसा अनुष्ठान !
वामियों का संकुचन देखिए –
एक कम्युनिस्ट लिख रहा है ” हम नौ दिन ढोंग में रहेंगे… लड़कियां ताड़ने के भिन्न-भिन्न तरीके ढूंढेंगे” …
कम्युनिस्ट जैसा होता है, वैसा ही प्रस्तुत होता है। यह उसकी आत्म का विस्तार-वाक्य है। क्या सभी ढोंग करते हैं ? कुछ लोग करते हैं…हां, यह मैं भी मानता हूं। क्या वे लोग लड़कियां नहीं ताड़ते जो पूजा-अर्चना नहीं करते ?
फिर लड़कियां ताड़ने की मानवीय विकृति का माताजी की पूजा-अर्चना के क्या ताल्लुक़ ?? यह वामियों का कुतर्क है। हम पाखण्ड का साधारणीकरण करने वाले आत्महंता हिन्दू हैं।
क्या किसी वामपंथी ने इस्लाम की बकरा काटने की पाशविक-प्रवृत्ति के प्रतिकार का साहस जुटाया ? नहीं। जबकि वह स्थूल है। जो दीखता है; उसका विरोध कम्युनिस्ट नहीं करता। वह आदर्शलोक की स्थापना का हवाई प्रयास करता है।
एक कवि लिखते हैं — जिसने माँ की गाली नहीं दी, वह व्यक्ति ही उपासना करे।
हमारे यहां सुधार के सब रस्ते खुले हैं। यदि अम्बपाली और अंगुलिमाल बुद्ध के सम्पर्क में नहीं आते तो उनमें परिवर्तन कैसे होता .. ? वाल्मीकि को सप्तर्षि न मिलते तो वह प्रभु राम का जीवन चरित कैसे लिखते। ऐसे नाना उदाहरण मिल जाएंगे।
एक कोण से यह ढोंग है कि माँ की गाली देने वाला उपासनारत हो…. लेकिन दूसरे कोण को भी विचारिये जिसमें बहुत सम्भव है कि उसे माँ शब्द की महत्ता समझ आये और उसका परिष्कार हो जाये। कम्युनिस्ट सुधार के सब मार्ग बंद कर मानव-मुक्ति चाहने वाला दुनिया का विरला जीव है।
हम राम, बुद्ध और गाँधी की कर्मणा-विचारणा के अनुयायी हैं। यह सदैव स्मरण रहे।
फेमिनिस्ट्स तो माँ को मानते ही नहीं। उन्हें बिंदीबिना-सिन्दूरहीना नारियां ही विश्व-विजयिनी लगतीं हैं। उन पर तो मुझे तरस ही आ सकता है। हिंदी के शब्द उच्चारते जिनकी जिह्वा को लकवा मार जाए वे लोग संस्कृत-नैरुक्त को कोसें, तो उन पर रहम ही किया जाना चाहिए।
सनातन की वैदिक स्थापनाओं को रूढ़ियाँ कहने वाले, एक दो किताबें पढ़कर वॉल को नई हिंदी में वैचारिक-विस्तीर्णता से भरने वाले और सभी को अपने जैसा दुचित्ताओं से युक्त मानने वाले लोग हिंदू ही अधिक हैं… उन्हें ईश्वर सद्बुद्धि दे।
शेष शुभ !
माताजी सबकी सहाय करे …. सभी को शारदीय नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं !!
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.