पश्चिम बंगाल में चुनाव नतीजों के बाद से ही लगातार तृणमूल कांग्रेस के लोग हिंसा कर रहे हैं. अब तक बीजेपी के तकरीबन 10 से 12 कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है तो वहीं दूसरी तरफ कई महिलाओं के साथ गैंगरेप की भी खबरें आ रही है। रात के समय डरावनी खबरें यह भी आई थी कि तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के डर से कई गांव के गांव जाकर खेतों में छिप गए हैं। हिंसा आगजनी लूटपाट घर तोड़ने जैसी तस्वीरें पश्चिम बंगाल के चुनावी नतीजों को बयां कर रही हैं। 


ऐसे में सोशल मीडिया पर लगातार जनता कह रही है कि आखिर बीजेपी आलाकमान अपने कार्यकर्ताओं की होती हुई हत्याओं को केवल बयानों के सहारे ही बचाने में क्यों लगा हुआ है? उधर तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता लगातार हिंसा और आगजनी कर रहे हैं तो वहां दूसरी तरफ बीजेपी के तमाम नेता सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इनकी कड़ी निंदा कर रहे हैं।


सोशल मीडिया पर जनता कह रही है कि आखिर क्या देश का गृह मंत्रालय अगले 1 महीने के लिए कोलकाता से नहीं चल सकता है? गृह मंत्री अमित शाह को स्वयं वहां डेरा डालना चाहिए और यदि राज्य में स्थिति और बिगड़ती है तो वहां राष्ट्रपति शासन लगाने के बारे में सोचना चाहिए। 


बीजेपी नेता कह रहे हैं कि पश्चिम बंगाल में जो हत्याएं, हिंसा और आगजनी हो रही है उसके खिलाफ वो 5 मई को देशव्यापी बंद का आवाहन कर रहे हैं। अब ऐसे में सवाल पूछा जाना चाहिए कि लोकतंत्र में बंद- हड़ताल एक जरिया है अपना विरोध जताने का ..मगर जहां पर कार्यकर्ताओं को पीट-पीटकर हत्या की जा रही हो जिन्हें तलवारों से काटा जा रहा हो महिलाओं के साथ गैंगरेप किया जा रहा हो , उसके खिलाफ कड़ा कदम उठाने की बजाय महज देशव्यापी बंद किस तरीके का असर डालेगा? 

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