हालांकि भारत की आंतरिक या बाह्य सुरक्षा में आने वाली चुनौतियों पर पुर्ण विराम लगाने के लिए माननीय रक्षा मंत्री का यह ट्वीट काफी तो है ही इसके अतिरिक्त भी सेना की मौजूदा स्थिति भी इस बात की गवाह है कि आज भारत की तरफ आँख दिखाने का माद्दा किसी भी देश में नहीं है ।

हालांकि केन्द्र सरकार के अथक प्रयासों से निसंदेह भारत उस स्थिति में हैं जहां से उसे देश की सुरक्षा को लेकर भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है फिर भी सुरक्षा की दृष्टि से कुछ घटक हैं जिन पर सरकार कार्य कर रही है।

नक्सलवाद- नक्सलवाद कम्युनिस्ट क्रांतिकारियों के उस आंदोलन का अनौपचारिक नाम है जो भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन के फलस्वरूप उत्पन्न हुआ। नक्सल शब्द की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के छोटे से गाँव नक्सलबाड़ी से हुई। वर्ष 1967 में चारू मजुमदार और कानू सान्याल ने इस आंदोलन को नेतृत्व प्रदान किया। जल्द ही नक्सलवाद ने देश के कई राज्यों को अपनी चपेट में ले लिया, परिणामस्वरूप नक्सलवाद ने हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया। आज नक्सलवाद देश की आंतरिक सुरक्षा के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती के रूप में मौज़ूद है ।

धार्मिक कट्टरता एवं नृजातीय संघर्ष- स्वतंत्रता के बाद से लेकर अब तक भारत में अनेक सांप्रदायिक दंगे हुए हैं। जिसने भारत की बहुलतावादी संस्कृति को छिन्न-भिन्न कर दिया है, धर्म, भाषा या क्षेत्र आदि संकीर्ण आधारों पर अनेक समूह व संगठनों ने लोगों में सामाजिक विषमता बढ़ाने का समानांतर रूप में प्रयास भी करते रहे हैं। ये अतिवादी संगठन अपने धर्म, भाषा या क्षेत्र की श्रेष्ठता का दावा प्रस्तुत करते हैं तथा विद्धेषपूर्ण मानसिकता का विकास करते हैं। 

भ्रष्टाचार- भ्रष्टाचार को सभी समस्याओं की जननी माना जाता है, क्योंकि यह राज्य के नियंत्रण, विनियमन एवं नीति-निर्णयन क्षमता को प्रतिकूल रूप में प्रभावित करता है। वस्तुतः ऐसा कार्य जो अवांछित लाभ को प्राप्त करने के इरादे से किया जाए अर्थात जो सदाचार, नैतिकता, परंपरा और कानून से विचलन दर्शाता हो तथा निर्णय निर्माण प्रक्रिया में एकीकरण के अभाव व शक्ति का दुरुपयोग करता हो उसे भ्रष्टाचार की श्रेणी में रखा जाता है।

आतंकवाद- आतंकवाद ऐसे कार्यों का समूह होता है जिसमें हिंसा का उपयोग किसी प्रकार का भय व क्षति उत्पन्न करने के लिये किया जाता है। किसी भी प्रकार का आतंकवाद, चाहे वह क्षेत्रीय या राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय हो, देश में असुरक्षा, भय और संकट की स्थिति को उत्पन्न करता है। आतंकवाद की सीमा कोई एक राज्य, देश अथवा क्षेत्र नहीं है बल्कि आज यह एक अंतर्राष्ट्रीय समस्या के रूप में उभर रही है। 

हालांकि केन्द्र सरकार ने इन सबसे निपटने के लिए कारगर उपाय किये हैं जिनका असर सामने दिख रहा है क्योंकि बीते कुछ सालों में देश दंगे, आतंकवादी घटनाओं या अन्य हिंसा की विभीषिका से मजबूती से निपट रहा है और उन पर काबू भी किया है ।

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