क्या एक सच्चा भारतीय भूल सकता है कि काँग्रेस द्वारा 26/11 आतंकी हमले को हिन्दू आतंकवाद का रूप देने की पुरजोर कोशिश की गई?

क्या कोई भारतीय भूल सकता है कि काँग्रेस ने पाकिस्तान को पाक -साफ बताया था ?

क्या कोई भारतीय भूल सकता है की अपने सीने पर 40 गोलियां खाकर आतंकियों के मंसूबों को नाकामयाब करने वाले अमर शहीद तुकाराम को काँग्रेस ने कभी सम्मान के साथ याद तक नहीं किया?

और क्या कोई भारतीय भूल सकता है कि काँग्रेस के युवराज हमले के ठीक बाद पार्टी कर रहे थे?

फ्रांस,अमेरिका जैसे देश भी जिस इस्लामिक आतंकवाद को पहचान गए, काँग्रेस ने जबरन हिन्दुओ को बदनाम करने का षड़यंत्र किया , और काँग्रेस की वही कोशिश अभी भी जारी है

हाथरस मे देशविरोधी संस्था PFI के साथ मिलकर जातीय हिंसा फैलाने की नाकाम कोशिश हो या फिर दिल्ली दंगों मे सैंकड़ों हिन्दुओ के हत्यारे उमर खालिद का समर्थन, ये वही लोग है जो किसी ना किसी रूप मे हमेशा आतंकवाद के साथ खड़े है

अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम इनके नापाक मंसूबे समझे ताकि ये देशविरोधी लोग, देश तोड़ने के अपने सपने को कभी साकार ना कर पाएं और हमारा भारत निरंतर स्वर्णिम ऊंचाइयों की ओर बढ़कर फिर एक बार विश्व गुरु बन सके|

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