दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल आजकल दिन में सपने देखने लगे हैं, उन्हें लगता है की उत्तर प्रदेश में अब उनकी पार्टी चुनाव जीत सकती है, उस उत्तर प्रदेश में जहाँ की जनता को कोरोना के प्रारंभिक काल में बसों में भरकर वो उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर फ़ेंक आये थे, उसी उत्तर प्रदेश में चुनाव जीतने का भरोसा करते हैं जिनके लिए कभी उन्होंने कहा था की वहां के लोग दिल्ली 500 रु लेकर इलाज़ करवाने चले आते हैं, अरविन्द जी 500 लेकर आप भी बनारस गए थे मोदी को हराने, क्या हुआ था याद है ना? उत्तर प्रदेश का जिम्मा जिसे दिया गया है वो अरविन्द जी से भी चार कदम आगे है, संजय सिंह, सिनेमाघर के बाहर कभी टिकट ब्लैक करने वाला एक छुटभैया नेता जिसे बोलने की तमीज नहीं है, अपने बल पर जो चुनाव जीतकर प्रधान नहीं बन सकता उसे उत्तर प्रदेश की कमान दी गई है, वो नहीं जीत सकते बल्कि ज़मानत तक नहीं बचा सकते ये आपिये अच्छे से जानते हैं, अतः उनका मकसद चुनाव जीतना नहीं कुछ और है, दरअसल दिल्ली की ही तरह मोटी आसामियों को करोड़ों में टिकट बेंचकर पैसे जुटाना ही उनका मकसद है, जिस उत्तर प्रदेश में मायावती और अखिलेश मुलायम जैसे दिग्गज परास्त हो गए, जहाँ से राहुल गाँधी को वायनाड भागना पड़ा वहां बिना किसी आधार के अचानक आकर ये सत्ता पा जाएंगे ये कोई मुर्ख भी नहीं मान सकता। ये जान चुके हैं की दिल्ली की जनता अब और मुर्ख नहीं बनने वाली, जिस अम्बानी को ये जेल भेजने वाले थे उसी की बिजली दिल्ली में आजतक चल रही है और वो मोटी मोटी घोटाले की फाइलें जिनके दम पर ये अम्बानी को जेल भेजने वाले थे उसे पता नहीं कहाँ छुपा दिया। संदीप दीक्षित की क्लस्टर बसें भी यथावत चल रही हैं, इनके पार्षद आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त जेल की हवा खा रहे हैं, सभी वो नेता जिनके बल पर ये सत्ता में आये उन्हें निकाल बाहर किया गया, अब ले दे के पंजाब और उत्तर प्रदेश में टिकट बेच कर कुछ माल बटोरकर कैसे भी भागा जाए इसी जुगत में लगे हैं।
उत्तर प्रदेश की जनता इनके बहकावे में नहीं आने वाली उल्टा संजय सिंह की जो फजीहत सोशल मिडिया पर हो रही है उसे देखकर लगता है की इनके स्वागत के लिए लोग पूरा डाटा लिए बैठे हैं। खैर उत्तर प्रदेश जिस विकास पथ पर बढ़ चला है उससे अब गुजरात के बाद भारत को एक नया मॉडल मिला है, योगी मॉडल। ये तय है की इन राजनैतिक गिरगिटों के मंसूबे अब और नहीं चलेंगे।
।।जय श्रीराम।।
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