गांधी नेहरू खानदान इस पूरे देश को अंग्रेजों की तरह अपनी मिल्कियत और गुलाम समझता मानता रहा है ये बात अब किसी से भी ढकी छिपी नहीं है और कांग्रेस की पिछली सारी सरकारों के होते ये सच कभी बाहर आया भी नहीं और किसी को इसे लाने की हिम्मत भी नहीं हुई।

लेकिन जबसे कांग्रेस का राज गया है तभी से कांग्रेस और विशेषकर नेहरू -गाँधी खानदान के सारे काले राज़ खुल कर लोगों के सामने आ रहे हैं चाहे वो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और लेडी माउंट बेटन के बीच के अवैध रिश्तों का सच हो या इंदिरा गाँधी द्वारा आपातकाल लगाए जाने के समय न्यायपालिका को बुरी तरह से कुचले जाने के प्रयास।

किस तरह से गाँधी परिवार ने सिर्फ सत्ता और सियासत के लिए नैतिकता की सारी हदें पार कर दीं ये सब जानकार अब लोगबाग खुद फैसला कर रहे हैं और यही कारण है कि दिनों दिन काँग्रेस अब अपने उसी काले इतिहास का हिस्सा बन रही है।

अभी कुछ दिनों पूर्व ही राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा लिखित आत्मकथा में उन्होंने विस्तार से लिखा है कि कैसे गाँधी नेहरू खानदान की इस घृणित मानसिकता वाली परम्परा को निभाते हुए सोनिया गाँधी भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और खुद राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को भी अपना गुलाम ही समझती और मानती थीं। ऐसे हज़ारों अवसर होंगे जिनके चित्र अंतरजाल पर अब भी मौजूद हैं जहाँ गाँधी खानदान के इन तिलंगों , सोनिया , प्रियंका और राहुल गाँधी तक ने खुद को प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से उच्च समझा और अभिवादन करना तो दूर उनके अभिवादन की उपेक्षा की। देखिये ये बानगी भी

ज्ञात हो कि , प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी अपने कक्ष में अपने बैठने की कुर्सी के अतिरिक्त किसी दूसरे के बैठने के लिए कोई व्यवस्था जानबूझ कर नहीं रखती थीं और सब वहां हाथ जोड़े खड़े रहते थे। बंगाल के कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर राय -राहुल गांधी से आशीर्वाद लेते हुए

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