नवभारत टाइम्स में छपी एक खबर की मानें तो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के बीच संबध और उसका भारत पाकिस्तान के बंटवारे के कई छिपे राज खुलने के डर से ब्रितानी सरकार ने लेडी माउंटबेटन के लिखे पत्रों को सार्वजनिक करने पर रोक लगा दी है .

असल में एक ब्रितानी लेखक ने इन पत्रों को सार्वजनिक करने के लिए पिछले 4 सालों से एक मुहिम चला रखी थी और इसके लिए उन्होंने लाखों रुपए भी खर्च किए . लेडी माउंटबेटन के लिखे निजी पत्रों को एक ब्रितानी विश्व विद्यालय ने अपने संग्रह में सुरक्षित रखा हुआ है . जहाँ से इसे निकाल कर सार्वजनिक करने की मांग की जा रही थी जिसे ब्रितानी सरकार ने सार्वजनिक करने से मना कर दिया .

इस समाचार में दावा किया गया है कि , एडविना की पुत्री पामेला भी यह बात बहुत बार कह चुकी हैं कि , जवाहर लाल नेहरू से उनकी माँ के प्रेम संबंध थे और वे दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे . अपनी माँ के अन्य प्रेमियों के साथ रिश्ते एवं दैहिक संबंध होने की बात भी वो बहुत बेबाकी से बताती रही हैं .

सिर्फ एडविना ही नहीं बल्कि खुद लार्ड मॉन्टबेटन के भी कई महिलाओं से ऐसे ही नाजायज सम्बंध थे और ये बात खुद माउंट बेटन की आधिकारिक जीवनी में लिखी गई है कि दोनों पति पत्नी के दूसरे पुरुष और महिलाओं के साथ दैहिक सम्बन्ध रहे हैं और उनका पूरा जीवन ही ऐसे ही अय्याशी करते हुए बीता था

ज्ञात हो कि , पहले भी कई ब्रिटिश साहित्यकार और इतिहासकार ब्रिटेन द्वारा भारत पाकिस्तान के बँटवारे में नेहरू और एडविना के प्रेम संबंधों की बड़ी भूमिका मानते हैं और यहाँ तक कहा जाता है कि , लार्ड माउंटबेटन अपनी पत्नी के किसी भारतीय के साथ नाज़ायज़ सम्बन्धों के कारण हो रही बदनामी से आजिज हो कर तुरंत भारत छोड़ देना चाहते थे .

इस पूरे मामले की सत्यता तो एडविना के निजी पत्रों से ही प्रमाणित की जा सकती है किंतु , इतना तो तय है की बच्चों के बीच लोकप्रिय “चाचा नेहरू ” जी की आकर्षक छवि और शानदार व्यक्तिव पर मोहित होकर यदि एडविना उनके प्रेम में पड़ गई और इसके कारण भारत को आजादी मिली तो पार्श्व में चला गया ये अमिट योगदान ,कभी भी भुलाया नहीं जा सकता .

यह समाचार और सारी छवियां नवभारत टाइम्स से साभार ली गई हैं .

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