कोरोना काल की दूसरी लहर में महामारी की वजह से कितने लोगों की जान गई ये किसी से छिपी नहीं है, जहां एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार हर वो कोशिश कर रही थी इस महामारी से निपटने के लिए वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी की नेतृत्व वाली ‘कॉन्ग्रेस टूलकिट गैंग’ देश में लाशों पर राजनीति कर रही थी.

दरअसल कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उत्तर प्रदेश में गंगा नदी में बहती लाशों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कर दावा किया गया था कि कोरोना से हो रही मौतों को छिपाने के लिए मृतकों के शवों को गंगा में फेंका जा रहा है . ये सब सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार को बदनाम करने के लिए मीडिया में प्रोपेगेंडा चलाया गया। लेकिन अब इन लोगों की बोलती बंद हो गई , अब ‘वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)’ एवं ‘ इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च (IITR)’ के वैज्ञानिकों की एक समीति ने गंगा नदी के सैम्पल्स की जांच की है।

CSIR और IITR के वैज्ञानिकों द्वारा जब गंगा नदी के इन सैम्पल्स की जांच की गई, तो इसमें कोरोना वायरस का कोई भी अंश नहीं मिला। पानी के इन सैम्पल्स को 2020 में ही उत्तर प्रदेश और बिहार के गंगा नदी से लिया गया था, जिसकी जांच के नतीजे अब सामने आए हैं। 120 पेज की इस रिसर्च स्टडी के आधार पर ‘द न्यू इंडियन’ ने अपनी खबर में बताया है कि 13 जगहों से लिए गए गंगा नदी के पानी ने इन सैम्पल्स का RT-PCR टेस्ट के जरिए परीक्षण किया गया। वैज्ञानिकों ने उन जगहों से कुल 132 सैम्पल्स इक्ट्ठा किए थे, जहां लाशों के तैरने की बात कही गई थीं। ये सारे के सारे सैम्पल्स कोरोना नेगेटिव टेस्ट किए गए हैं। ये सैम्पल्स, कनौज, उन्नाव, कानपुर, प्रयागराज, मिर्जापुर, वाराणसी, बक्सर, हमीरपुर, गाजीपुर, बलिया, पटना, सारण और भोजपुर में गंगा नदी से लिए गए थे। पश्चिमी मीडिया ने इन लाशों को कोरोना के कारण हुई मौतें बताया था।

CSIR-IITR के डायरेक्टर एसके बारीक ने ‘द नई इंडियन’ को बताया कि गंगा नदी के अंदर कोविड-19 के सैम्पल्स मौजूद ही नहीं थे। उन्होंने बताया कि ये परीक्षण पर्याप्त संख्या में सैम्पल साइज और कड़ी वैज्ञानिक प्रक्रिया के बाद तय किए गए हैं। उन्होंने बताया कि जिस SOP से 3.5 लाख सैम्पल्स उनलोगों ने टेस्ट किए गए, वही प्रक्रिया इस बार भी अपनाई गई। उन्होंने बताया कि पानी में कोरोना वायरस मिला ही नहीं। ये सैम्पलिंग मई-जून 2021 में की गई थी।

दरअसल उस समय लाशों के ऊपर राजनीति करने का मसकद साफ था. इन तस्वीरें को दिखा कर डर का माहौल पैदा करना और सूबे की योगी सरकार को बदनाम किया जा सके। 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए ऐसा किया गया। महाराष्ट्र और केरल में यूपी से ज्यादा मौतें हुईं, लेकिन वहां को लेकर कोई चर्चा नहीं की गई ।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.