..जब से देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनी है तभी से फ़िल्म इंडस्ट्री के फ़सादी कलाकारों को सांप सूंघ गया है। सालों से भारत देश की गरिमा से दाऊद के पैसों के सहारे खेल रही इस जमात को अब जन्नत ए फिरदौस के ख्वाब दिखने बंद हो गए हैं। जिन तीनों खानों पर शुक्र करके हर शुक्रवार सिरमौर बनाया गया , अब वही तीनों खान उसी जनता के मतों से चुनी हुई सरकार से नाहक नाराज हुए बैठे हैं। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री या गृह मंत्री किसी से भी इनका जमीन बंटवारा नहीं है मगर मसला है तो सिर्फ और सिर्फ विचारधारा का।

 दरअसल नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही बॉलीवुड में दाऊद का पैसा लगना बन्द हो गया है और इसी से बॉलीवुड जमात के ये लोग तिलमिलाए हुए हैं। इससे पहले बॉलीवुड में सनातन धर्म की मजाक बनाई जाती थी और समाज सुधार के नाम पर आमिर खान जैसे औसत आदमी PK जैसी फ़िल्म बनाकर धर्म की गरिमा की धज्जियां उड़ाते थे। आपको याद होगा आमिर खान ‘सत्यमेव जयते, नाम का टीवी सीरियल भी होस्ट किया करते थे जिसमें सामाजिक कुरीतियों के नाम पर सिर्फ हिंदू प्रथाओं की आलोचना की जाती थी। मगर मई 2014 के बाद जब से नरेंद्र मोदी सरकार बनी तभी से आमिर खान जैसे दोगले मिजाज के लोगों के खरगोश कान टाइट किए गए हैं। अब देश पूछ रहा है कि क्या आमिर खान को सिर्फ हिंदू समाज में ही कुरीतियां दिखाई देती हैं? क्या उन्हें इस्लाम में बुर्का प्रथा , हलाला, तीन तलाक जैसे मुद्दे नहीं दिखे?? दरअसल कलाकार का मुखोटा पहनकर ये लोग दाऊद के रुपयों के दम पर सनातन धर्म के खिलाफ अपनी अंदरूनी नफरत को ART का अमलीजामा पहनाकर पेश करते हैं। 

2014 में भी आमिर खान और उनकी पत्नी किरण राव ने देश के खिलाफ बयानबाजी की थी और कहा था कि देश में इनटोलरेंस बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। जबकि असल वजह यह थी कि मोदी सरकार ने आते ही बॉलीवुड में लग रहे दाऊद के पैसे पर नकेल कसनी शुरू कर दी थी। इजराइल के प्रधानमंत्री जब भारत यात्रा पर आए थे तब तीनों खानों में से कोई भी उनके सम्मान में आयोजित दावत में नहीं गया, मगर अभी हाल ही में आमिर खान तुर्की के राष्ट्रपति की पत्नी के साथ फोटो खिंचवाते नजर आए हैं। बॉलीवुड में खुलेआम हिन्दू धर्म के खिलाफ फिल्में बनाई जाती हैं, सनातन धर्म की प्रथाओं पर सवाल खड़े किए जाते हैं और देश में एक माइंडसेट बनाया जाता है ताकि देश के लोगों में अपने ही संस्कार , अपनी ही सभ्यता के प्रति तिरस्कार का भाव पैदा हो सके। अब इनके नापाक मंसूबो पर मोदी नाम का देश का चौकीदार बैठा है इसलिए ये सभी कुंठा के कार्मिक साईकिल में उलझे हुए हैं। आमिर खान, शाहरुख खान, सलमान ख़ान, दिबाकर बनर्जी, अनुराग कश्यप, महेश भट्ट जैसे दोगलों को समझ लेना चाहिए कि सिनेमाघर में फैले अंधेरे की माफिक तुम लोग हमारी सभ्यता में अंधेरा फैलाने की कोशिश कर रहे हो वो कामयाब नहीं होगी क्योंकि हॉल के उस अंधेरे में से अब सनातन चेतना का सूर्योदय हो रहा है।

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