जम्मू कश्मीर में पहली बार केंद्रीय परिसीमन ऐक्ट के माध्यम से परिसीमन हुआ है .

यह परिसीमन तार्किक एवं परिसीमन की मान्यताओ को ध्यान में रखते हुए किया गया है

परिसीमन करते हुए जनसंख्या के साथ ऐक्ट में वर्णित अन्य फ़ैक्टर्ज़ को भी ध्यान में रखा गया है .

परिणामस्वरूप कुपवाड़ा, डोडा और किश्तवाड़ जैसे अति दुर्गम इलाक़ों के हितो का भी ध्यान रखा गया .

जम्मू कश्मीर में पहली बार अनुसूचित जनजाति के लिए नौ सीट्स पहली बार आरक्षित की गयी है . सात सीट्स SC वर्ग के लिए आरक्षित की गयी है .

जम्मू कश्मीर में अभी तक पाँच लोकसभा सीट्स थी किंतु इनका निर्धारण जम्मू और कश्मीर क्षेत्रों को अलग अलग मानते हुए किया गया था . जिसके चलते कश्मीर में तीन और जम्मू में दो लोकसभा सीट्स आती थी . वर्तमान में परिसीमन करते हुए पूरे राज्य को एक यूनिट मानते हुए 90 विधानसभा सीट्स को 18-18 विधानसभा में बाँटकर पाँच लोकसभा सीट्स का निर्धारण किया गया है . अब राजौरी अनंतनाग नाम से एक लोकसभा सीट होगी जिसने जम्मू के राजौरी की चार और पूँछ की तीन विधानसभा होगी और साथ ही साथ कश्मीर के अनंतनाग और कुलगम की विधानसभाए होंगी .

अभी परिसीमन ड्राफ़्ट आधिकारिक रूप से पब्लिक डोमेन में नही है. यह अभी केवल कमीशन के असोसीयट मेम्बर्ज़ को सौंपा गया है . 14 फ़रवरी तक इन मेम्बर्ज़ को अपने इनपुट देने है . इसके बाद आधिकारिक रूप से ड्राफ़्ट पब्लिक में आएगा .

वर्षों से उपेक्षा के शिकार कुपवाड़ा ज़िला में भी एक सीट् की बढ़ोतरी हुई है .

डोडा और किश्तवाड़ जैसे पहाड़ी और कठिन कनेंकटिविटी वाले जिलो में भी क्रमश एक एक सीट बढ़ायी गयी है .

राजौरी , उधमपुर, साम्बा और कठुआ में भी एक एक सीट की बढ़ोतरी हुई है.

यह परिसीमन जम्मू क्षेत्र और कश्मीर क्षेत्र का प्रश्न नही है ..॥ यह हिंदू मुस्लिम का भी प्रश्न नही है …. जम्मू कश्मीर एक राज्य है और इसे भी देश के अन्य राज्यों की तरह ही देखना चाहिए

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.