देश से जाति कुचक्र को तोड़ने में विश्व हिन्दू परिषद ने वो कर दिखाया है जिससे वामी केंचुओं को 2 गज जमीन मिलनी भी मुनासिब नहीं दिख रही है। विहिप ने दक्षिण भारत में 5 हजार दलितों को मंदिर पूजन पुजारी के तौर पर तैयार किया है। इसके लिए विहिप ने बाकायदा 5 हजार दलित लोगों को विधिवत पूजा-अर्चना की ट्रेनिंग दिलवाई है।

विश्व हिंदू परिषद की कोशिशों से ज्यादातर पुजारी सरकारी देखरेख में मंदिरों के पैनल में शामिल हो गए हैं  आपको बता दें कि विश्व हिंदू परिषद कई सालों से इस तरीके के अभियान चला रहा है “एक मंदिर एक कुंआ,  एक श्मशान तभी बनेगा भारत महान” जैसे अभियानों को दूरदराज के इलाकों में भी काफी हद तक लोकप्रियता मिल रही है|

दक्षिण भारत में विश्व हिंदू परिषद अपने इस अभियान को अभी और आगे ले जाने की बात कर रहा है, अकेले तमिलनाडु में अब तक ढाई हजार दलित पुजारी विधिवत मंदिरों में पूजा अर्चना कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ आंध्र प्रदेश में भी काफी बड़ी संख्या में दलित पुजारी इस अभियान में शामिल हैं। गौरतलब है कि वामपंथी इतिहासकारों ने भारत को जाति की बेड़ियों में जकड़े रखने के लिए इस तरीके की बातें फैलाई थीं कि भारत में दलित और पिछड़ों को पूजा अर्चना में बराबर का हक नहीं मिलता है जबकि भारत में हमेशा से हर वर्ग के तबके को धर्म के आईने में समान समझा गया है। बेशक हमें इस दिशा में हमेें अभी और आगे बढ़ने की जरूरत है, केसरिया ध्वज के नीचे जब सारा  हिंदू समाज कश्मीर सेे कन्याकुमारी तक ‘जय श्रीराम’-हर हर महादेव के नारे लगायेगा तब इन वामपंथी और जिहादी जकड़नों से भारत माता को आजादी मिलेगी।

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