यासीन मलिक को सजा सुनाने के बाद से ही देश की कई जगहों पर हाई अलर्ट घोषित किया गया है, यासीन की सजा के बाद ज़िस तरह से श्रीनगर में पत्थरबाजी हुई, सड़कों पर ‘आजादी’ के नारे लगाकर उपद्रव किया गया उसके बाद देश की राजधानी दिल्ली में हाई अलर्ट घोषित किया गया। मगर बड़ा सवाल यहां पर ये उठा कि यासीन मलिक पर टेरर फंडिंग का आरोप साबित हुआ है और उसे उसी केस में सजा हुई है।

देश के तबकों से ये आवाज उठी है कि यासीन मलिक ने जिस टेरर फंडिंग के जरिये हजारो मासूम निर्दोषों का कत्ल कराया क्या उसके लिए इतना सजा काफी है? यासीन ने टेरर फंडिंग की और उस पैसे से आतंकियों ने मासूमो का कत्ल किया…ऐसे में क्या सिर्फ आजीवन कारावास की सजा मिलना उन कत्ल किये गए लोगों के लिए न्याय है?
यासीन की उम्रकैद के बाद आवाजें उठनी लाजमी है कि जिसने हजारों मासूमो को बेरहमी से कत्ल करवाया वो आज गांधी का नाम लेकर सुरक्षित रास्ता लेकर बचने की कोशिश करता हुआ दिखाई दे रहा है । आखिर गांधी का नाम हरेक आतंकी अपराधी के लिए छतरी क्यों बन जाता है? आखिर क्यों इस नाम का इस्तेमाल कर भारतीय राजनीति में अपराधी शरणस्थली पाकर बचना चाहता है? आखिर कब हिसाब होगा उन सब मुजरिमों का जिन्होंने गांधी के नाम का इस्तेमाल कर देश मे आर्थिक घोटाले किए हैं, देश को जाति-धर्म मे बांटा है..!

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