एक तरफ आतंकवादी यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई गई तो दूसरी तरफ उसका असर कश्मीर से लेकर पाकिस्तान तक दिखा. कश्मीर में सड़कों पर सन्नाटे के साथ ही दुकानों के शटर गिरा दिए गए. तो पाकिस्तान में बैठे यासीन के आकाओं के आंखों से आंसू बंद ही नहीं हो रहे हैं. मानो किसी आतंकवादी को नहीं बल्कि किसी बेगुनाह को सजा सुनाई गई है. लेकिन इन्हें कौन समझाएं कि ये तो अधूरा इंसाफ है हमें यासीन मलिक के लिए फांसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है .

वहीं इसी बीच जम्मू कश्मीर में आतंकियों ने कश्मीरी अभिनेत्री अमरीना भट्ट की गोली मार कर हत्या कर दी है। आतंकियों ने उनके घर में घुसकर उन पर हमला किया. इस दौरान उनका 10 साल के भतीजा भी वहीं मौजूद था जिसके बांह में गोली लगी है। जिसका इलाज अस्पताल में चल रहा है।

अमरीना भट्ट की हत्या के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा साफ दिखा रहा है. दरअसल इससे ठीक पहले एक पुलिस कांस्टेबल की गोली मारकर हत्या कर दी थी. कांस्टेबल का नाम सैफुल्लाह कादरी था. इस हमले में उनकी एक सात साल की बेटी भी घायल है. सैफुल्लाह कादरी भी एक मुसलामन थे. इसी से समझ जाइए कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता. अमरीना भट्ट और सैफुल्लाह कादरी इसके उदाहरण हैं. कश्मीर में लगातार जिस तरह से दोबारा आतंकियों की कायराना हरकत बढ़ती जा रही है बावजूद उसके कश्मीरियों का हौसला टूटा नहीं है. आतंकियों को ललकारते हुए वे कह रहे हैं कि यह 90 के दशक का कश्मीर नहीं है, ये नया कश्मीर है .

देखा जाए तो कश्मीर में आतंकवादी इस कदर बौखला गए हैं कि अब वे बच्चों और महिलाओं को निशाना बना रहे हैं। आज सवाल पूछना बनता है उनसे जो मानवाधिकार की बड़ी-बड़ी बाते करते हैं कहां हैं वो ? आज उनके मुंह से एक भी शब्द नहीं निकलेगा क्योंकि मारी गई महिला एक मुसलमान है और अपराधी  कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवादी हैं…

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