एक तरफ आतंकवादी यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई गई तो दूसरी तरफ उसका असर कश्मीर से लेकर पाकिस्तान तक दिखा. कश्मीर में सड़कों पर सन्नाटे के साथ ही दुकानों के शटर गिरा दिए गए. तो पाकिस्तान में बैठे यासीन के आकाओं के आंखों से आंसू बंद ही नहीं हो रहे हैं. मानो किसी आतंकवादी को नहीं बल्कि किसी बेगुनाह को सजा सुनाई गई है. लेकिन इन्हें कौन समझाएं कि ये तो अधूरा इंसाफ है हमें यासीन मलिक के लिए फांसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है .
वहीं इसी बीच जम्मू कश्मीर में आतंकियों ने कश्मीरी अभिनेत्री अमरीना भट्ट की गोली मार कर हत्या कर दी है। आतंकियों ने उनके घर में घुसकर उन पर हमला किया. इस दौरान उनका 10 साल के भतीजा भी वहीं मौजूद था जिसके बांह में गोली लगी है। जिसका इलाज अस्पताल में चल रहा है।
At around 1955 hrs , terrorists fired upon one lady Amreen Bhat D/o Khazir Mohd Bhat R/o Hushroo Chadoora at her home. She was shifted to hospital in injured condition where doctors declared her dead. Her 10 year old nephew who was also at home recieved bullet injury on his arm.
— Kashmir Zone Police (@KashmirPolice) May 25, 2022
अमरीना भट्ट की हत्या के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा साफ दिखा रहा है. दरअसल इससे ठीक पहले एक पुलिस कांस्टेबल की गोली मारकर हत्या कर दी थी. कांस्टेबल का नाम सैफुल्लाह कादरी था. इस हमले में उनकी एक सात साल की बेटी भी घायल है. सैफुल्लाह कादरी भी एक मुसलामन थे. इसी से समझ जाइए कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता. अमरीना भट्ट और सैफुल्लाह कादरी इसके उदाहरण हैं. कश्मीर में लगातार जिस तरह से दोबारा आतंकियों की कायराना हरकत बढ़ती जा रही है बावजूद उसके कश्मीरियों का हौसला टूटा नहीं है. आतंकियों को ललकारते हुए वे कह रहे हैं कि यह 90 के दशक का कश्मीर नहीं है, ये नया कश्मीर है .
If Jihadis believe they'll deter Kashmiri women & men from joining careers in theatre, TV, films, modelling, dance & music by murdering an artist;they're mistaken.This ain't 90s Kashmir, this is defiant Naya Kashmir youth firmly believing in a future with liberal,democratic India pic.twitter.com/srwjzstPzu
— Arshia Malik (@arshiaunis) May 25, 2022
देखा जाए तो कश्मीर में आतंकवादी इस कदर बौखला गए हैं कि अब वे बच्चों और महिलाओं को निशाना बना रहे हैं। आज सवाल पूछना बनता है उनसे जो मानवाधिकार की बड़ी-बड़ी बाते करते हैं कहां हैं वो ? आज उनके मुंह से एक भी शब्द नहीं निकलेगा क्योंकि मारी गई महिला एक मुसलमान है और अपराधी कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवादी हैं…
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