देश भर की अदालतों में लंबित लगभग साढ़े तीन करोड़ मुकदमे देश की साड़ी प्रशासनिक व्यवस्थाओं के अतिरिक्त आर्थिक जगत को भी बहुत बड़े पैमाने पर प्रभावित करता है | सरकार , विधायिका , कार्यपालिका से लेकर खुद न्यायपालिका तक अपने अपने एकल और सयुंक्त स्तर से भी अदालतों पर लंबित मुकदमों के इस बोझ को कम करने के लिए अनेक प्रयास और योजनाओं पर काम करते रहे हैं |

स्वयं न्यायपालिका प्रशासन अनेक बार इस काम को अपने जिम्मे लेकर बहुत सारी महात्वाकांक्षी योजनाएं बनाता रहा है ऎसी ही एक योजना थी “ज़ीरो पेंडेंसी मिशन ” इसके अलावा फास्ट ट्रैक कोर्ट , स्पेशलाइज़्ड कोर्ट , इवनिंग कोर्ट , लोक अदालत जैसे कितने ही नए विधिक प्रयोगों और अदालती स्वरूपों को समय समय पर आजमाया जाता रहा है |

अब सवाल ये है की जब इतने समय से सरकार और संस्थाएं लंबित मुकदमों की संख्या में कमी लाने के लिए काम कर ही रहे हैं तो फिर मोदी सरकार ऐसा नया क्या लाने जा रही है ? तो गौर से समझिये इस बात को

एक अलग उच्च समिति को सारी न्यायिक नियुक्तियों का अधिकार ताकि वे तेजी से अदालतों में रिक्त सभी पदों पर न्यायाधीशों की नियुक्ति करें | केंद्रीयकृत सेवा के आधार पर पूरे देश भर के लिए चयन व् सेवा से पारदर्शिता और तेज़ी आएगी |

न्यायिक अधिकारी जो पहले से ही मुकदमों की अधिकता के कारण , वाद फाइलों को पढ़ने समझने में अधिक व्यस्त रहते हैं , न्यायालय व न्याय प्रशासन से जुड़े हर प्रशासनिक तथा वित्तीय कार्य के लिए एक विशेष उच्चाधिकार समिति का गठन और संचालन | ऐसा होने से सभी न्यायिक अधिकारी एकाग्रचित्त होकर सिर्फ मुकदमों की फाइलों को समय दे पाएंगे और जिसका सीधा असर मुकदमों के निस्तारण पर पडेगा |

स्थानीय स्तर पर लोगों को चिकित्सा सुविधा व् सहायता उपलब्ध कराने के उद्देश्य को लेकर चलाई जा रही मोबाईल दवाईखाना /चिकित्सा केंद्र आदि की तरह ही एक जैसे विधिक विवादों और उनके कानून द्वारा निर्धारित एक जैसे उपचार को देखते हुए वर्गीकरण करके उसे स्थानीय लीगल क्लीनिक में ही उपलब्ध कराया जा सकेगा |

इतना ही नहीं इन स्थानीय लीगल क्लिनिक में वीडियो कान्ग्फ्रेसिंग के जरिये भी अपने विवादों को निपटाने की सुविधा दी जाएगी | कुल मिला कर विधिक उपचारों के लिए अपना मन निश्चित कर चुके प्रार्थियों को अदालत या अधिकारी के पास समय के अभाव होने के कारण अब रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी | इस बदलाव से अदालतों में तलाक , मुआवजे , आपसी लेन देन जैसे विवादों को एक साथ बहुत तेज़ी से निपटाया जा सकेगा |

पली बार्गेनिंग , मध्यस्थतता व्यवस्था , विशेष अदालतों का गठन | कुल मिला कर सरकार बार बार ये बता और जता चुकी है क़ी , किसी भी प्रशासनिक विलम्ब या पत्राचार के कारण न्यायिक निस्तारण में कोई विलमब न हो ये सरकार सुनिश्चित करने में लगी है |

इसके अतिरिक्त विधिक क्षेत्र में शोध और प्रयोगों के लिए खुल कर अपनी सहमति व समर्थन दे चुकी केंद्र सरकार ने अपना मत स्पष्ट कर दिया है | देश में वो कानून जरूर लागू होंगे जो जरूरी हैं और ये सभी के लिए जरूरी होगा कि वे उन कानूनों का पूरा सम्मान करें |

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