अब जब करने को कोई काम धाम नहीं रहेगा तो फिर जो कर रहे हैं उसे ही काम धाम घोषित कर लेने से ही हिसाब बराबर होता है | ठीक ऐसा ही अपने यहां इन दिनों समाचार जगत में हाल है |

उत्तर प्रदेश में किसी दारोगा जी अपनी हाजी दाढ़ी के कारण सस्पेंशन का ईनाम पाकर देश भर में मसहूर से हो लिए | इस पर भर भर कर छाती कूटने वाला गैंग भी आ गया कि देखो चिचा मुग़ल थे सो योगी जी की सरकार ने चीचा की दाढ़ी पर बुलडोज़र चलवा दिया |

अबे , कानून के बारे में कुछ भी बोलने पढ़ने लिखने से पहले खुद उसके बारे में जान लो , थोड़ा पढ़ लो , क्या आपको पता है कि अंग्रेजों के समय में उनकी गाडी के ड्राइवर शौफ़र यदि गंदे दातों के साथ पाए जाते तो सज़ा के हकदार होते थे |

वर्दी की नौकरी यूँ ही नहीं होती कि लटकते फटकते कर ली | जूते से लेकर फीते तक को हर वक्त सावधान को मुद्रा में रहना होता है | और हाँ ये जो बार बार सिक्ख धर्म की बाबत बात करने लगते हो तो न खुद न्यायपालिका द्वारा संरक्षित हैं वे , और वो भी कानून की धारा के सम्मत रहते हुए ही | सिक्ख में भी जो नामधारी होते हैं उन्हें तो कृपाण तक धारण करने का अधिकार मिला हुआ है ,जो उन्होंने अर्जित किया हुआ है |

चलो मान भी लिया कि बिना उस दाढ़ी के चौखटे का बैलेंस नहीं बन रहा था तो फिर सरकार से लिखित रूप में इसकी अनुमति लेनी चाहिए थी जैसा की नियम होता है | अब दिक्कत यही तो है कि नियम हमने मानना कागज़ हमने दिखाना नहीं और दाढ़ी हमने कटाना नहीं , तो ऐसे कैसे चलेगा न चिचा |

चिचा के कुनबे की जानकारी के लिए बता दें कि , चिचा को सरकारी कर्मचारी व् अधिकारी गणवेश व्यवहार कानून के उल्लंघन /अनुपालन में असफल रहने के कारण घर बिठा कर टैम दिया गया है कि , चिचा खुद की खेती है बुलडोज़र भी खुद ही फिरा लो , क्या समझे

अब दारोगा चिचा पे संकट अधिक गहरा गया है कि वे दाढ़ी की कुर्बानी दें या नौकरी की | मुग़ल इतिहास की शान को देखते हुए यही उम्मीद की जा रही है कि दारोगा जी बेशक होमगार्ड में लग जाएंगे मगर मजाल है जो मुगलिया दाढ़ी की आँच पर कोई जाँच बैठ जाने दें |

अजी , मजाक समझ रखा है क्या ????

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