मुन्नवर राणा और राहत इंदौरी ये दोनों ही जहरीली जुबान और अपनी गंदी मानसिकता के कारण खूब चर्चित है परिचित है अपने प्रोफेशन के साथ साथ इन्होंने हिंदुस्तान में जहर की खेती चालू रखी और समय समय पर जहां जहां मौका मिला अपनी कला को भी इन्होंने नहीं बख्शा और जिहाद का कार्य चालू रखा…

अगर कोई मेरे मां बाप का बुरा कार्टून बना दे तो मैं मार दूं उसे – मुन्नवर राणा

जब मीडिया से सवाल में फ्रांस के मामले को लेकर मुन्नवर राणा से पूछा गया तो मुन्नवर राणा ने जवाब दिया कि अगर उसके मां बाप का कोई बुरा कार्टून बना दे तो मैं उसको मार दूं जबकि इसी कौम के कुछ लोग हिन्दू धर्म को रोज लज्जित करते है और रोज कार्टून और गंदे चित्र बनाकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कार्य करते है पर उस समय ये दोगले चुप रहते है CAA हो या एनआरसी या हो भले ही धारा 370 ऐसे लोगो ने केवल गन्दगी ही की है मुन्नवर राणा को देखकर साफ साफ लगता है कि ये कोई पाकिस्तानी एजेंट ही है जो हिंदुस्तान का खाकर पाकिस्तान की पैरवी करता है और मजे की बात ये भी है कि इसकी तरफदारी करने वाले मीडिया, नेता और बॉलीवुड के ही कई नुमाइंदे मिल जाएंगे जो इनको शांतिदूत बताकर देश में गन्दगी फैलाने का कार्य करते है ये किसी भी सूरत में शांतिदूत नजर नहीं आते, ऊंचा पाजामा और चेहरे पर काजल लगाकर ये मानवीय भ्रांति ही फैलाते है एक तरह से देश का एक तबका ऐसे सांपो को दूध पिलाने का कार्य ही कर रहा है

हर किसी का खून है शामिल इस मिट्टी में, तुम्हारे बाप का हिंदुस्तान थोड़े ही है – राहत इंदौरी

इस तरह से तीक्ष्ण बाणों से डबल भाव वाले शब्दों से देश में अशांति फैलाने वाले दहशत गर्दो से कम नहीं है ये, कविता और हंसी के बहाने लोगो ने नया उन्माद फैलाकर देश में अलग प्रकार का नकारात्मक संदेश देने का प्रयास किया है हिंदुस्तान को अपने बाप का बताने वाले और हिंदुस्तान को अपनी जागीर समझने वाले खुद हिंदुस्तान के प्रति कितना ईमानदार है ये हम अच्छी तरह से जानते है ये बात राहत इंदौरी ने खुले मंच से एनआरसी और CAA पर कही और देश के प्रधानमंत्री और वर्तमान देश की सरकार के फैसले पर सीधा सीधा सवाल उठा दिया, सही मायने में ऐसे लोगो पर देशद्रोही का मुकदमा चलना चाहिए हालांकि ये राहत इंदौरी जल्द राहत पा गए और अल्लाह को प्यारे हो गए, राहत इंदौरी ने हमेशा कविता की आड़ में धार्मिक जहर ही घोला और धार्मिक भावनाओं को आहत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, सच्चे मायने में मजहब के नाम पर ये जहर की खेती करने से नहीं चूकते, इनके जहन में केवल इस्लाम है जिसके लिए ये पूरी तरह से कटिबद्ध है

16 अक्टूबर 2020 को फ्रांस में हुए मामले में आतंकवादी अब्दुला अजारोव और मुन्नवर राणा में कोई ज्यादा फर्क नहीं है दोनों ही अपने मजहब के लिए किसी का भी सर कलम करने के लिए उतारू है इस्लामिक सोच के लिए मुन्नवर राणा को शांतिदूत अपना आदर्श मानते है जो कि भावी पीढ़ी के लिए चिंता का विषय है फ्रांस में आतंकवादी की उम्र महज 18 साल की है जिसमें सैमुएल जो कि उसका शिक्षक ही था उसका सर कलम कर दिया केवल इस्लाम को एक संदेश देने के लिए, ये घटना बहुत कुछ कहती है ऐसी हरकतों का हिंदुस्तान में प्रवेश तभी रोका जा सकता है जब मुन्नवर राणा और राहत इंदौरी जैसी सोच रखने वाले लोगों के मुंह पर ताला लगाया जाए.

एक मुसलमान, तुफ़ैल अहमद, जिसने भारत के लिए जिहादी धमकी लिखी है: द केस फॉर इस्लामिक रिफॉर्मेशन फ्रॉम ए इंडियन मुस्लिम, जो भारत में जिहाद, आतंकवाद का गहन अध्ययन है। तुफैल अहमद ने इस्लामिक समाज में सुधार, मुस्लिम युवाओं के लिए एक धर्मनिरपेक्ष शिक्षा को बढ़ावा देने और बढ़ावा देने के लिए अपनी चिंता को उठाया, खासकर 6-14 वर्ष की आयु के बीच की लड़कियों को। हालांकि, उनका असली रंग बिहार के मदरसे में एक छात्र से जेएनयू में पढ़ने और बीबीसी में काम करने के लिए उनके योगी आदित्यनाथ के यूपी का मुख्यमंत्री बनने पर उनकी पृष्ठभूमि से प्रदर्शित हुआ। उनकी मदरसा शिक्षा ने इस बात को भुला दिया कि योगी आदित्यनाथ लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नेता थे, जब उन्होंने भारत में हर चीज के खिलाफ जहर उगलना शुरू किया। हिन्दुस्तान में भी ऐसे नेताओ को लोग प्राथमिकता देते है जो 15 मिनट में हिंदुस्तान की जनता को सबक सिखाने की बात करते है हिंदुस्तान को खत्म करने की बात करते है और ऐसे लोग अपने अपने क्षेत्रों से चुनाव भी जीतकर आते है यानी मतलब साफ है इनका जिहाद अपनी जगह काम कर रहा है

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