१२-१३ किमी एक लीटर पेट्रोल में जाने वाली जगमग कार , जिसमें धाँय धाँय AC चल रहा था , दरवाज़े पर आकर रुकी । ड्राइवर ने दौड़ कार दरवाज़ा खोला । माथे पर गोल बड़ी सी बिंदी , हाथ में ख़ालिस मगरमच्छ की खाल का बना बैग लिए हुए मैडम कार से उतरीं । दूसरी तरफ़ से दूसरी सहकर्मी प्लास्टिक के ४-५ बड़े बड़े कैरीबैग लेकर उतरी ।

“डन विध दीवाली शॉपिंग , टू हॉट आउट्साइड” कहकर घर के अंदर चलीं गयीं । अंदर पहुँचते ही , फ़्रिज का चिल्ड पानी मंगाया और नौकर को आदेशित किया “दिवाली स्पेशल शाम की डिबेट के लिए टाइम होने वाला है , शॉवर लेकर आती हूँ तब तक दो अंडों का ऑम्लेट विध ब्रॉकली एंड स्पिनेच रेडी कर देना “ । दूसरे नौकर को दिवाली की सजावट पूरी करने के लिए बोला , लड़ियों-दियों-मोमबत्तियों की तैयारी चेक की ।


गाँव में एक किसान ने अपने घर को बुहारा । दीवारें झाड़ी । तेल में रुई की बत्तियों को और दियों को पानी में डुबा कर शाम के लिए तैयार किया । पूरे परिवार के लिए नए कपड़े पहले ही आ गए थे । नहाने का काम सुबह ही पूरा हो गया था । शाम का इंतज़ार था । खाना बन रहा था और ऐसी सुगंध पूरे गाँव से आ रही थी क्यूँकि हर घर की यही स्थिति थी । शाम आते आते दियों की जगमग हो गयी थी । बिजली की लड़ियाँ कम ही दिख रहीं थीं । घर-मंदिर-अन्नगृह-गोशाला-तुलसी-रास्ते सब पर जगमग दियों की थी ।


मैडम रेडी होकर कैमरे सामने बैठी थीं: एक चैनल से दूसरे चैनल से तीसरे चैनल सब पर पर्यावरण की रक्षा पशुओं की सुरक्षा पर जानकारी रही थीं, पटाखे चलाने वालों को ब्लडी illiterate कह रहीं थी जिन्हें पर्यावरण की फ़िक्र नहीं है । घर में झालरें जल उठीं थीं । सारी डिबेट ख़त्म करके “से नो टू क्रैकर” का ट्वीट किया । दो चार पड़ोसियों को “विश यू हैप्पी एन प्रोसपरस दिवाली” किया और खाने की टेबल की ओर चल दीं ।


गाँव में पूजा के साथ दिवाली शुरू हुई । जगमग हुई । पटाखे चले । खाने की तैयारी हो ही रखी थी , खाने की शुरुआत हुई । ईश्वर को धन धान्य के लिए आभार दिया और साथ ही पहला निवाला गौ-माता का निकाला गया ।


खाने की टेबल पर बैठकर मैडम ने चावल के व्यंजन का स्वाद लिया और बोलीं :” आइ हैव आल द राइट व्हाट आइ वॉंट टू ईट, व्हाट आ टेस्टी बीफ़ पुलाव” !!!

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