एक समय पर इंदिरा गांधी को कांग्रेस से बर्खास्त किया गया । उन्होंने कांग्रेस इंदिरा बनायी । बाद में बची खुची कांग्रेस भी उसी में आकर मिल गयी । इस घटना ने गांधी परिवार को कांग्रेस में ऐसी ताक़त दी की आजतक उसे कम नहीं किया जा सका ।

ममता बनर्जी , शरद पवार , एनडी तिवारी , सबने एक टाइम पर बग़ावत की । पर इसके उलट उन्होंने कांग्रेस को ही सत्ता तक पहुँचाने में मदद की । या ये कहें कि भाजपा को एक तरह से सत्ता से दूर रखने के लिए ही ये लोग एक समय विभिन्न कारणों से कांग्रेस से अलग तो हुए , बीच में कुछ समय तक इनके तेवर तल्ख़ भी रहे पर बाद में ये सब उसी गांधी परिवार के सामने सरेंडर कर दिए ।

आपातकाल के दौरान बने दर्जनों नेता भी कभी ना कभी कांग्रेस के साथ ही बैठे दिखे सिवाय जनसंघ या भाजपा के । इसमें सुब्रमणियन स्वामी तक शामिल हैं ।

अरविंद केजरीवाल का ऐक्टिविज़म भी ऐसा रहा है । भाजपा दिल्ली की सत्ता से दूर है तो इसका सबसे बड़ा कारण केजरीवाल हैं । उन्होंने भी पहली सरकार कांग्रेस के साथ बनायी । खुद ० सीटें लाकर ही कांग्रेस आम आदमी पार्टी के सरकार बनाने पर ख़ुश रहती है क्यूँकि कहीं ना कहीं ये उसकी खुद की सरकार है ।

इसीलिए वर्तमान में कांग्रेस में उठती बग़ावत जनता की आँख में धूल झोंकने की क़वायद मात्र लगती है ।

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